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Samveda Subhashitavali (सामवेद सुभाषितावली)

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Author Dr. Shri Kapil Dev Dvivedi
Publisher Vishv Bharti Anusandhan Parishad
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2018
ISBN 978-81-85246-67-3
Pages 155
Cover Hard Cover
Size 12 x 0.5 x 18 (l x w x h)
Weight
Item Code VBRI0003
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Description

सामवेद सुभाषितावली (Samveda Subhashitavali)

सामवेद का महत्त्व : वेद प्रभु की वाणी है। वेद ज्ञान के स्रोत हैं। वेदों में अनन्त ज्ञान भरा हुआ है। वे मानवमात्र के लिए प्रकाश स्तम्भ हैं। सामवेद उपासना-प्रधान वेद है। इसमें प्रभु की भक्ति और उपासना से संबद्ध मन्त्र हैं। इनका संगीत-शास्त्र की दृष्टि से गान होता है। सामवेद में १८७५ मंत्र हैं। इनमें से १७७१ मंत्र ऋग्वेद के हैं। केवल १०४ मंत्र नये हैं। प्रभु की भक्ति जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है। प्रभु की भक्ति से ही सच्चे आनन्द की प्राप्ति होती है। जहाँ आनन्द है, वहाँ सुख, शान्ति, वैभव और विकास है। लोक और परलोक को सुधारने का सशक्त मार्ग प्रभु की भक्ति ही है। सामवेद में प्रभु की भक्ति के द्वारा जीवन के सर्वांगीण विकास की विधि प्रस्तुति की गयी है। अतः सामवेद में सभी विषयों से सम्बद्ध मंत्र आये हैं।

सुभाषित-संकलन : प्रस्तुत संकलन में सामवेद संहिता (राणायनीय एवंकौथुम शाखा) से १७६८ सुभाषित संग्रह किये गये हैं। सुभाषित ग्रन्थ के प्राण या सार होते हैं। इसमें सूत्ररूप में जीवन की विविध शिक्षाएं दी हुई हैं। ये स्मरणीय हैं। इनमें से कुछ सुभाषितों को जीवन में क्रियात्मक रूप में उतारने पर जीवन पवित्र और उन्नत होता है, मानव की सभी अभिलाषाएँ पूर्ण होती हैं तथा महासंकटों से उद्धार होता है। सुभाषित प्रकाश स्तम्भ हैं।

सुभाषितों का वर्गीकरण :  समस्त सुभाषितों को विषय की दृष्टि से १४ भागों में बाँटा गया है। सुविधा के लिए इनके भी उपविभाग किये गये हैं। सारे सुभाषित विषयानुसार अकारादि-क्रम से दिये गये हैं। प्रत्येक विषय से संबद्ध सुभाषित उसी शीर्षक के अर्न्तगत दिये गये हैं। १४ शीर्षक ये हैं :- १ . धार्मिक (अ), २. धार्मिक (आ), ३. आचारशिक्षा, ४. नीतिशिक्षा, ५. राजनीतिशास्त्र, ६. अर्थशास्त्रीय, ७. समाजशास्त्रीय, ८. राष्ट्रीय, विश्व-कल्याण, ९. दार्शनिक, १०. आयुर्वेद, ११. विज्ञान, १२ वनस्पतिशास्त्र एवं प्राणिविज्ञान, १३. मनोविज्ञान, १४. विविध।

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