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Kashi Yatra (काशी यात्रा)

102.00

Author Acharya Karunapati Tripathi
Publisher Sampurnananad Sanskrit Vishwavidyalay
Language Hindi
Edition 2nd edition
ISBN 81-7270-214-0
Pages 52
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SSV0055
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Description

काशी यात्रा (Kashi Yatra) ‘काशी यात्रा’ में काशी के प्रमुख देवों, देवगणों, यात्राओं, कुण्डों, तीर्थ-कूपों आदि की चर्चा की गई है। पर उनके अतिरिक्त भी बहुत-से देवादिक हैं, जिनका दर्शन, पूजन, यात्रा और स्नान आदि काशी में होते रहते हैं। उदाहरणार्थ केवल मैं एक नाम लेता हूँ। लक्ष्मीकुण्ड के पश्चिम सड़क के पश्चिम की ओर एक पतली सड़क है। उसके आगे चलकर एक स्थान है, रामकुण्ड। यह स्थान अभी भी वर्तमान है। वहाँ अखाड़ा भी है। वहीं रामेश्वर महादेव का यह मन्दिर है। वृद्धों की लोककथा के अनुसार भगवान् राम ने प्रमुख रूप से तीन स्थानों पर ‘रामेश्वर’ महादेवों की, शङ्कर-लिङ्गों की स्थापना की थी-

(१) प्रथम है भारत के पुण्यतम चार धर्मस्थानों (घामों) में एक सेतुबन्ध के अवसर पर स्थापित स्थान रामेश्वर। यह स्थान समुद्र के सुरम्य तट पर है। यह अत्यन्त प्रसिद्ध है। भारत के कोने-कोने से असंख्य यात्री प्रतिवर्ष यहाँ आते हैं।

(२) द्वितीय हैं पञ्चक्रोशी के अन्तर्गत आनेवाले रामेश्वर महादेव। पाँच दिनों वाली पञ्चक्रोशी-यात्रा के यात्री यहाँ एक रात्रि का विश्राम करते हैं।

(३) तृतीय हैं- रामकुण्ड के रामेश्वर। यह स्वान औरंगाबाद मुहल्ले के दक्षिण है। वर्तमान जदू को मण्डी और लक्सा मुहल्लों के बोच। जनश्रुति के अनुसार श्रीरामचन्द्र यहाँ कभी आये थे। रामकुण्ड के पास ही सीताकुण्ड भी था। औरंगाबाद से लक्सा जानेवाली पतली सड़क के पश्चिम वह सूखा कुण्ड था। उसमें खेती होती थी। मेरे बचपन और किशोरावस्था तक वह सूखा खेतोवाला कुण्ड था। अब वहाँ बस्ती बस गई है। इसके अतिरिक्त ‘लवकुशेश्वर’ महादेव भी राम के पुत्रों के नाम पर पास में ही थे। आज का लक्सा मुहल्ला उसी लवकुशेश्वर का घिसा हुआ अपभ्रष्ट या अवहट्ट रूप है। वृद्ध कोविदों की मान्यता थी कि शारद् नवरात्र में नौ दिन उक्त ‘रामेश्वर’ महादेव का दर्शन-पूजन करने से सेतुबन्ध वाले रामेश्वर के दर्शन का पुण्य होता है।

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