Vilom Durga Sptashati (विलोम दुर्गासप्तशती)
₹230.00
Author | Raghu Nath Dubey |
Publisher | Shiv Sanskrit Sansthan Varanasi |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2021 |
ISBN | 978-81-920895-1-5 |
Pages | 170 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SSSV0014 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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विलोम दुर्गासप्तशती (Vilom Durga Sptashati) प्रस्तुत संस्करण में सारे विषयों को स्पष्टरूप से व्यक्त किया गया है। उन सारे सन्दर्भों को जो आम प्रचलित सप्तशती में हैं विस्तार से विवेचन नहीं किया गया है जैसे शतचण्डी एवम् सहस्त्रचण्डी। इसका एकमात्र व्यवहारिक कारण यह है कि इस प्रस्तुत संस्करण से तो शतचण्डी संभव ही नहीं क्योंकि इसका विधिवत् एक ही पाठ करने में पाँच घण्टे समय लग जायेंगे तो शतचण्डी के नियमानुसार १+२+३+४ ये (फार्मूले) निर्देशानुसार अन्तिम दिन चार पाठ करना किसी के लिये भी सम्भव नहीं। कोई भी व्यक्ति २०-२२ घण्टे बैठकर लगातार पाठ नहीं कर सकता, हाँ सिद्धों की बात अलग है।
यह संहार क्रमानुगत वर्तमान दुर्गा सप्तशती जो विलोम दुर्गा सप्तशती के नाम से प्रकाशित किया जा रहा है, पाठकों, भक्तों, साधकों एवं शाक्त परम्परा के उपासकों को उपासना के क्षेत्र में एक नयी दिशा प्रदान करने में सक्षम होगी, ऐसा हमारा विश्वास है। इसी विश्वास के अन्तर्गत यह विलोम दुर्गा सप्तशती पाठकों या साधकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। पाठकगण ग्रन्थों के रहस्यों को आत्मसात करके यदि इसे हृदयंगम करके पाठ करें तो समस्तकामनाओं की पूर्ति माँ जगदम्बा भवानी अवश्य करेगी। यो तो ग्रन्थों के मर्म को समझकर ही पाठ करना चाहिये। महाभारत के प्रारम्भ में यह पंसग स्पष्ट रूप से वर्णित है कि जब भगवानवेदव्यास महाभारत की रचना करने के लिये तैयार हुये तो लिखने के लिये उन्होंने महागणपति भगवान गणेश का स्मरण किया।
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