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Shri Gorakhanath Charitra (श्री गोरखनाथ चरित्र)

35.00

Author Dr. Chaman Lal Gautam
Publisher Sanskriti Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2016
ISBN -
Pages 104
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SS0011
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Description

श्री गोरखनाथ चरित्र (Shri Gorakhanath Charitra) नाथ सम्प्रदाय में नौ नाथ प्रसिद्ध हैं, जिनमें प्रथम मत्स्येन्द्रनाथ का नाम आता है। इनकी उत्पत्ति कविनारायण के अवतार रूप से अयोनिज हुई थी। सभी नाथ योगियों के आदि गुरु भगवान् दत्तात्रेय माने जाते हैं।

गोरखनाथ हरिनारायण भगवान् के अवतार थे। यह भी अयोनिज ही थे और मत्स्येन्द्रनाथ की कृपा से गोबर के गर्त्त से इनका प्राकट्य हुआ था। इनकी प्रसिद्धि सब योगियों से अधिक हुई। इनकी महिमा के साक्षी स्वरूप गोरखपुर आदि नगर तथा गोरखा जाति भी संसार में विद्यमान है।

गोरखनाथ ने अनेक अद्भुत् कार्यों को किया, जिससे उनकी ख्याति भारत के अतिरिक्त अन्य देशों में भी फैल गई। इनके अनुयायी योगियों की संख्या बहुत है, जो कि नाथ सम्प्रदाय की विशिष्ट वेशभूषा के अतिरिक्त कान के मध्य भाग को चिरवा कर उसमें गोल मुद्रा (हाथी दाँत, सींग या धातु निर्मित छल्ला) धारण करते हैं।

प्रस्तुत पुस्तक में उन्हीं योगिश्रेष्ठ गोरखनाथजी के जन्म, कर्म, तपस्या, वर-प्राप्ति तथा सिद्धि तथा चमत्कारादि का वर्णन किया गया है। इनकी सामग्री विभिन्न कथा-ग्रन्थों, प्रचलित गाथाओं तथा वृद्ध जनों के कथनों आदि के सार-रूप में संकलित की गई है। हमें आशा है कि श्रद्धालुजन इसके मनन से लाभ उठायेंगे।

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