Aarogya Ank (आरोग्य अङ्क)
₹300.00
Author | - |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Hindi |
Edition | 32nd edition |
ISBN | - |
Pages | 834 |
Cover | Hard Cover |
Size | 19 x 4 x 27 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GP0141 |
Other | Code - 1592 |
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CompareDescription
आरोग्य अङ्क (Aarogya Ank) सं० २०५७ में ‘कल्याण’ के ७५ वर्ष पूरे हुए, इस वर्ष ‘कल्याण’ का ७५याँ विशेषाङ्क ‘आरोग्याङ्क’ के रूपमें प्रकाशित हुआ, जिसमें ऋषि-महर्षियोंद्वारा प्रतिपादित विभिन्न चिकित्सा पद्धतियोंका निरूपण, आयुतत्त्व-मीमांसा, आहार-विहार, रहन-सहन, स्वाभाविक और संयमित जीवनका स्वरूप, शास्त्रोंद्वारा प्रतिपादित यम-नियम, आचार-विचार एवं यौगिक क्रियाओंका अनुपालन, प्राचीन विधाओंसे लेकर अर्वाचीन चिकित्सा पद्धतियों तथा उनके हानि-लाभका विवेचन, नीरोग रहनेके घरेलू नुस्खे तथा अनुभूत प्रयोग, विभिन्न भारतीय चिकित्सा पद्धतियोंके महानुभावोंका चरित्रावलोकन तथा भगवान् धन्यतरिद्वारा प्रवर्तित आयुर्वेदशास्त्र, इसके साथ ही प्रकृतिके कुछ सरल एवं स्वाभाविक नियमों तथा स्वस्थ जीवनके मूलभूत सिद्धान्तोंको सरल और सुगमरूपमें प्रस्तुत करनेका प्रयास किया गया।
संत-महात्माओं और मनीषी लेखकों की ‘कल्याण’ के प्रति जो आस्था और श्रद्धा है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। देश के विभिन्न भागों से संतों, भारतके गण्यमान्य आरोग्यविद् आचार्यों, विद्वान् लेखकों एवं चिकित्सा शास्त्रियों ने कृपा पूर्वक आरोग्य से सम्बन्धित विशिष्ट सामग्री इस अङ्कके लिये भेजी, उन लेखक महानुभावोंने स्वास्थ्यसे सम्बन्धित अपने अनुभूत प्रयोग तथा नीरोग रहने की विभिन्न सामग्रियाँ भेजने का कष्ट किया। हम इन सम्पूर्ण उपयोगी सामग्रियों को विशेषाङ्क में सँजोना चाहते थे, परंतु विशेषाङ्ककी पृष्ठ-संख्या की परिधि सीमित होनेके कारण सम्पूर्ण सामग्रीको विशेषाङ्कमें समाहित कर पाना सम्भव नहीं हो सका। यहाँतक कि ‘आरोग्याङ्क’ में प्रकाशनके लिये स्वीकृत की गयी सामग्रीमेंसे छपाईके अन्तिम समयमें पृष्ठ-संख्या अधिक हो जानेके कारण लगभग २०० पृष्ठकी सामग्री कम करनी पड़ गयी। इस प्रकार ‘आरोग्याङ्क’ की सम्पूर्ण सामग्री विशेषाङ्कमें समायोजित कर पाना सम्भव न हो सका।
‘कल्याण’ का वर्ष पूरा हो जानेपर ‘कल्याण’ का नया विशेषाङ्क आना स्वाभाविक है, परंतु आरोग्याङ्कके लिये जनता जनार्दनकी माँगको देखते हुए मनमें यह विचार आया कि इस अङ्कको सर्वसाधारणके लिये संवर्धितरूपमें प्रकाशित किया जाय और विद्वान् लेखकोंद्वारा भेजी हुई विशिष्ट सामग्री, स्वास्थ्यसे सम्बन्धित अनुभूत प्रयोग जो कि विशेषाङ्कमें नहीं छप सके थे, उन्हें भी इस अङ्गमें समायोजित कर दिया जाय। इसके साथ ही ‘कल्याण’ के पूर्व अङ्कोंमें स्वास्थ्यसम्बन्धी अनुभूत प्रयोगोंका संकलन भी इसमें समाहित किया गया है। इसके कारण इस अङ्कका आकार वर्ष ७५ (सन् २००९ ई०) में प्रकाशित आरोग्याङ्कसे स्वाभाविक रूपमें बृहद् हो गया और लगभग चार सौ पृष्ठोंकी सामग्री इसमें अधिक हो गयी है। इस प्रकार ‘आरोग्याङ्क’ का यह संवर्द्धित संस्करण आप महानुभावोंके समक्ष प्रस्तुत है। आशा है पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे।
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