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Parashar Smriti (पाराशरस्मृतिः)

70.00

Author Pt. Damodar Dutt Misra
Publisher Chaukhambha Sanskrit Sansthan
Language Hindi & Sanskrit
Edition 2014
ISBN 978-81-89798802
Pages 145
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0591
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Description

पाराशरस्मृतिः (Parashar Smriti) अपने विवेच्य विषय-पाराशर स्मृति के सम्बन्ध में कुछ-लिखने के पूर्व हमें यह जानना आवश्यक हैं कि स्मृति शब्द का यहाँ तात्पर्य क्या है, स्मृतियाँ कितनी हैं, उनका विवेच्य विषय क्या है और यदि धर्म उनके विवेच्य विषयों में सर्वोपरि है तो धर्म का मानव जीवन से क्या संबन्ध है। इन सभी जानकारियों के साथ हमें यह भी जानना आवश्यक है कि स्मृति ग्रन्थों में पाराशर स्मृति का क्या स्थान है। प्रासंगिक उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए हमें इन सभी बिन्दुओं को स्पर्श करने के क्रम में सर्वप्रथम धर्म तत्व पर विचार करना आवश्यक हो जाता है।

मनुष्य एक विचारवान् प्राणी है। उसके विचारक्रम में ही प्रश्न उठता है कि उसके जीवन का उद्देश्य क्या है। इस प्रश्न पर गहन चिन्तन करने के उपरान्त भारत के त्रिकालदर्शी ऋषि महर्षियों ने यह सुनिश्चित किया धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये पुरुषार्थ चतुष्टय ही मानव जीवन के उद्देश्य हैं, साध्य हैं, लक्ष्य हैं। अर्थ (धनोपार्जन) और काम (दाम्पत्यरति के साथ ही मानव मन में उठी अन्य अवान्तर इच्छाओं की पूर्ति) ये दोनों धर्मानुसारी हों और इन तीनों, जिनके लिए एक शब्द त्रिवर्ग का भी प्रयोग किया जाता है, का पर्यवसान मोक्ष या मुक्ति की प्राप्ति में हो, यही उन चारों के उपर्युक्त क्रम का निहितार्थ है।

इस सन्दर्भ में यदि हम मोक्ष को मानव जीवन का चरम लक्ष्य मानते हैं तो बाकी तीन पुरुषार्थ जिनको त्रिवर्ग भी कहा जाता है; मोक्ष के साधन के रूप में मान्य होते हैं। इन तीनों में भी धर्म का स्थान प्रथम है जिसका तात्पर्य यह हुआ कि अर्थ और काम को भी धर्मानुसारी होना आवश्यक है। इसी अर्थ में धर्म को प्रमुख पुरुषार्थ माना जाता है और इस सिद्धान्त के अनुगामी भारतवर्ष को धर्म प्राण देश की संज्ञा दी जाती है। जैसे अमेरिका का प्राण धन, ब्रिटेन का प्राण उसकी कूट नीति, जर्मनी का प्राण उसकी शिल्पज्ञता और जापान का प्राण उसका उद्योग है उसी प्रकार भारत का प्राण धर्म है। यही कारण है कि मनुस्मृति (अध्याय २ श्लोक २०) ने यही से पृथ्वी भर के मानवों को धर्म की शिक्षा लेने का निर्देश दिया है।

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