Sankshipt Brahma Puran (संक्षिप्त ब्रह्मपुराण)
₹144.00
Author | - |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Hindi |
Edition | 22nd edition |
ISBN | - |
Pages | 432 |
Cover | Hard Cover |
Size | 19 x 2 x 27 (l x w x h ) |
Weight | |
Item Code | GP0104 |
Other | Code -1111 |
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CompareDescription
संक्षिप्त ब्रह्मपुराण (Sankshipt Brahma Puran) भारतीय संस्कृति और शास्त्रोंमें पुराणोंकी बड़ी महिमा है। पुराण अनन्त ज्ञान-राशिके भण्डार हैं। इनके श्रवण, मनन, पठन, पारायण और अनुशीलनसे अन्तःकरणकी परिशुद्धिके साथ, विषयोंसे विरक्ति, वैराग्यमें प्रवृत्ति तथा भगवान्में स्वाभाविक रति (अनुरागा भक्ति) उत्पन्न होती है। फलस्वरूप इनके सेवनसे मनुष्य-जीवनके एकमात्र ध्येय-‘भगवत्प्राप्ति’ अथवा ‘मोक्ष-प्राप्ति’ भी सहज सुलभ है। इसीलिये पुराणोंको (दुर्लभ आध्यात्मिक ज्ञान- लाभकी दृष्टिसे) अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त है।
पुराणोंकी ऐसी विशिष्ट महिमा और महत्त्वको सादर स्वीकार करते हुए गीताप्रेसने ‘कल्याण’ के माध्यमसे समय-समयपर विशेषाङ्कोंके रूपमें अनेक पुराणोंका सरल हिन्दी- अनुवाद जनहितमें प्रकाशित किया है। उनमें ‘संक्षिप्त मार्कण्डेय-ब्रह्मपुराण’ भी एक है। ये दोनों पुराण प्रथम बार ‘कल्याण’ के इक्कीसवें (सन् १९४७ ई०) वर्षके विशेषाङ्कोंकी तरह इसके भी कुछ पुनर्मुद्रित संस्करण समय-समयपर प्रकाशित हो चुके हैं। अब पाठकोंके प्रेमाग्रह और सुविधाको ध्यानमें रखते हुए इस प्रकारके संयुक्त पुराण- विशेषाङ्कोंको अलग-अलग छापनेका निर्णय लिया गया है। तदनुसार उपर्युक्त संयुक्त विशेषाङ्कोंमेंसे एक-‘ब्रह्मपुराण’ का यह ग्रन्थाकार स्वरूप आपकी सेवामें प्रस्तुत है। इसमें पूर्व सम्मिलित ‘मार्कण्डेयपुराण’ भी स्वतन्त्ररूपसे शीघ्र ही प्रकाशित करनेका विचार है।
‘ब्रह्मपुराण’ में भारतवर्षकी महिमा तथा भगवन्नामका अलौकिक माहात्म्य, सूर्य आदि ग्रहों एवं लोकोंकी स्थिति एवं भगवान् विष्णुके परब्रह्म स्वरूप और प्रभावका वर्णन है। इसके अतिरिक्त देवी पार्वतीका अनुपम चरित्र और उनकी धर्मनिष्ठा, गौतमी तथा गङ्गाका माहात्म्य, गोदावरी-स्त्रानका फल और अनेक तीर्थोंके माहात्म्य, व्रत, अनुष्ठान, दान तथा श्राद्ध आदिका महत्त्व इसमें विस्तारसे वर्णित है। साथ ही इसमें अच्छे-बुरे कर्मोंका फल, स्वर्ग-नरक और वैकुण्ठादिका भी विशद वर्णन है। इस पुराणमें अनेक ऐसी शिक्षाप्रद, कल्याणकारी, रोचक कथाएँ हैं, जो मनुष्य-जीवनको उन्नत बनानेमें बड़ी सहायक और उपयोगी हैं। विशेषतः भगवान् श्रीकृष्णकी परम पावन माधुर्यपूर्ण व्रजकी लीलाओंका विस्तृत वर्णन इसमें बड़ा मनोहारी तथा विशेषरूपसे उल्लेखनीय है। योग और सांख्यकी सूक्ष्म चर्चाके साथ, गृहस्थोचित सदाचार तथा कर्तव्याकर्तव्य आदिका निरूपण भी इसमें किया गया है। इस प्रकार यह सभी श्रेणियोंके पाठकों – गृहस्थ, ब्रह्मचारी, संन्यासी एवं साधकों और जिज्ञासुओंके लिये ( इसका अध्ययन) सर्वथा उपयोगी है। अतएव सभी पाठकों और श्रद्धालुओंसे विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि इसके अध्ययनसे अधिकाधिक रूपमें उन्हें विशेष लाभ उठाना चाहिये।
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