Bhairav Upasana (भैरव उपासना)
₹149.00
Author | Dr. Radhakrishan Shrimali |
Publisher | Diamond Pocket Books |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2023 |
ISBN | 81-7182-515-X |
Pages | 142 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | DPB0035 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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भैरव उपासना (Bhairav Upasana) मानवीय जीवन के मूलभूत उद्देश्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति के साथ-साथ आत्म-साक्षात्कार अथवा भक्ति, ईश्वर-चिन्तन, मनन, भगवत्-प्राप्ति आदि भी है। समय अपनी गति से अपनी धुरी पर चलता रहा और धीरे-धीरे मनुष्य, आज का मनुष्य इन सबको प्रायः भूलता चला गया। दैविक गुणों से सर्वथा विमुख होता गया मात्र भौतिक वादी बनता गया। इसी कारण आज यत्र-तत्र-सर्वत्र यहां-वहां शत्रुता द्वेष, ईर्ष्या, कटुता, वैमनस्यता, हिंसा, विध्वंस, अनाचार, दुराचार, विनाश, पशुत्व भाव की प्रधानता दिखाई देती है। अध्यात्म व ईश्वरत्व पुस्तकीय मात्र रह गया। लौकिक और पारलौकिक पतन अवश्यंभावी हो गया है। परन्तु इस प्रकार के लौकिक, विपत्तिनाश, भौतिक अभ्युदय एवं ईश्वर-प्राप्ति का चिन्तन-मनन का साधन मात्र देवोपासना ही है। घोर भौतिकवाद का कडुवा स्वाद चखकर पुनः, मनुष्य अध्यात्म की ओर आने को छटपटा रहा है।
‘भारतीय वाड्.मय में, भारतीय दर्शन एवं देवोपासना में हर एक उपासनाएं अपनी-अपनी विशेषताएं लिये हुए हैं, भिन्नता लिये हुए हैं तथापि उन सब का लक्ष्य दिशा एक ही है। हा, साधक की भावना विशेष से ही देवोपासना में भेद आ गया है। इसके अलावा कामना भेद, विचार भेद, देवभेद आदि भी हेतु होते रहे हैं। अनेक रुप-रुपाय का मूलभूत सिद्धात उपासना भेद को अपने में निहित रखता चला आ रहा है। इतने पर भी, तथापि भगवान् भैरव की उपासना साधक वास्ते कल्प वृक्ष है-
बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य महात्मनः ।
ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दित दयानिधे ।।
अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों द्वारा वन्दित बटुक नाम के प्रसिद्ध यह भैरव देव की उपासना कल्पवृक्ष के समान फलदाता है।
यही सोचकर अन्यान्य उपासना गणेश उपासना, शिव उपासना, गायत्री उपासना, श्री लक्ष्मी उपासना, हनुमान उपासना, विष्णु उपासना की इस कड़ी में सरलतम भाषा में भैरव उपासना पाठकों को सौंप रहा हूं। पाठक लाभ उठायें। शंका या आवश्यकता होने पर लिखें। उत्तर दूंगा। यह मैं अपना पावन कर्तव्य मानता हूं।
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