Shakti Nikunj (शक्तिनिकुञ्ज)
₹595.00
Author | Mirdula Tridedi & T.P. Trivedi |
Publisher | Chaukhamba Sanskrit Pratisthan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2018 |
ISBN | 817-0844254 |
Pages | 578 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSP0845 |
Other | Dispatched in 3 days |
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शक्तिनिकुञ्ज (Shakti Nikunj) ‘शक्ति-निकुञ्ज’ भक्तिभावना का त्रिभुवन मोहन, भव्य भुवन है जो परमेश्वरी पराम्बा, जगज्जननी जगदम्बा के परम पावन पदपंकज के प्रसादामृत से परिपूरित प्रेरणाप्रदायक प्रभूत प्रार्थना पथ एवं प्राञ्जल प्राशीष है। ‘शक्ति-निकुञ्ज’ भाव और भक्ति-साधना तथा शक्ति, प्रार्थना और उपासना से प्लावित प्रथम, मध्यम और उत्तम चरित्र से सुशोभित भव्य त्रिभुवन मोहन, दिव्य सौन्दर्य से सुसज्जित, सुगठित, संगठित, सुनियोजित, सुरुचिपूर्ण, सारस्वत, शाश्वत साधना का स्वर्णिम शक्ति सेतु है, जो तेरह मणिमण्डित स्तम्भों पर आधारित, सात सौ रत्नजटित स्वर्ण सोपानों से निर्मित है, जिसमें आदिशक्ति, महाशक्ति, पराम्बा, परमेश्वरी, जगदीश्वरी, जगज्जननी के परम पावन पुनीत पवित्र प्राञ्जल चरित्र का सघन संज्ञान तथा विपुल अनुकम्पा प्राप्ति के निमित्त संपादित सुनियोजित किये जाने वाले अनुपम प्रायोगिक व्यावहारिक नैमित्तिक अनुष्ठान के सविधि आयोजन के विशिष्ट प्रावधान का सम्यक् विश्लेषण, विवेचन का आख्यान, व्याख्यान विधि-विधान सहित व्यवस्थित आविष्ठित है।
‘शक्तिनिकुञ्ज’ 21 अध्यायों में विवेचित एवं व्याख्यायित है जिसे मोक्षप्रदायिनी श्रीदुर्गासप्तशती के प्रसाद-प्रबन्ध की विस्तृत विवेचना के साथ-साथ नैमित्तिक साधनाओं के विभिन्न पक्षों पर केन्द्रित किया गया है। श्रीदुर्गासप्तशती भूलोकवासियों की मनोकामनाओं एवं सम्यक् अभिलाषाओं की सम्पूर्ति एवं संसिद्धि हेतु माता जगदम्बा का अनुपम वरदान है, जो मानव समाज को प्रसादामृत रूप में उपलब्ध है।
‘शक्ति-निकुञ्ज’ के उल्लेखनीय प्रसंग तथा नैमित्तिक साधनाओं के विशिष्ट प्रावधान अग्रांकित हैं: * भक्ति पुञ्ज : शक्तिकुञ्ज-श्रीदुर्गासप्तशी * शक्तिरहस्य, शक्ति साधना : संस्कार संज्ञान दुर्गाभुवन महारात्रि मोहरात्र्यादि निर्णय ∗ कामनापरक श्रीदुर्गासप्तशती का अनुष्ठान विधान ∗ नवरात्र और नवार्ण मंत्र-एक चिंतन * शंतचण्डी एवं दुर्गापाठ विधान * श्रीदुर्गासप्तशती अनुष्ठान-अभीष्ट सिद्धि विधान * श्रीदुर्गासप्तशती : विस्तृत हवन प्रावधान * सप्तशती स्थित प्रसिद्ध सम्पुटित मन्त्र * अन्यान्य प्रयोजनों की संसिद्धि हेतु श्रीदुर्गासप्तशती का मंत्रजप विधान * साधना के सामान्य सूत्र * कालरात्रि * श्रीदेव्यथर्वशीर्ष और महत्त्व चण्डिका मालामन्त्र प्रयोग * समस्त प्रयोजनों की संसिद्धि हेतु ‘सिद्धकुञ्जिका स्तोत्र’ एवं ‘बीसा यन्त्र’ प्रयोग * शक्तिपीठ : उनका विवरण तथा महत्त्व विन्ध्याचल माहात्म्य * दश महाविद्या परिचय शक्ति साधना : कतिपय चमत्कृत कर देने वाले अंतरंग आभास।
इनके अतिरिक्त अन्यान्य प्रयोजनों की संसिद्धि हेतु श्रीदुर्गासप्तशती का मंत्रजप विधान, ‘शक्ति-निकुञ्ज’ का दुर्लभ वैशिष्ट्य है जिसमें व्याहितियों से संयुक्त संपुट मन्त्रों का जप विधान, विनियोग, न्यास संख्या तथा प्रविधि आदि संपादित है। श्रीदुर्गासप्तशती. आस्तिकों की आस्था का ललाट है। माता दुर्गा के अनुपम अनुराग एवं शक्तिसाधना की सौरभ सुधा-धारा ‘शक्ति-निकुञ्ज’ में अविरल गति से प्रवाहित-प्रसारित हो रही है। भक्ति भावना के भव्य भुवन में त्रिभुवन मोहिनी, महाशक्ति पराम्बा की अवर्णनीय अनुरागपूर्ण आस्था, आराधना, अर्चना, अभ्यर्थना के स्वर्णिम संकल्प का हीरक हस्ताक्षर है- ‘शक्ति-निकुञ्ज’, जिसका पठन और पारायण शक्ति के भक्तों, साधकों, आराधकों, उपासकों तथा जिज्ञासुओं हेतु अपरिहार्य है।
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