Ishadi Nau Upanishad (ईशादि नौ उपनिषद्)
₹250.00
Author | - |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 29th edition |
ISBN | - |
Pages | 1360 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 5 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GP0026 |
Other | Code - 1421 |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
ईशादि नौ उपनिषद् (Ishadi Nau Upanishad) विषय की दृष्टि से वेदों के तीन विभाग हैं-कर्म, उपासना और ज्ञान। विश्व के कारण तत्त्व पर ब्रह्म का विचार ज्ञान काण्ड में किया गया है। कर्मकाण्ड ओर उपासना काण्ड का लक्ष्य मानव-मन में उस परम तत्त्व को उपलब्ध करने के लिये योग्यता का निर्माण करना है। इसलिये कर्म और उपासना साधन हैं और ज्ञान साध्य। वेद के इस ज्ञान काण्ड का नाम ही उपनिषद् है और इसी को ब्रह्म विद्या का आदि स्त्रोत कहते हैं। उपनिषदों का मुख्य उद्देश्य ब्रह्म अथवा आत्मा के यथार्थ स्वरूप का बोध कराना है।
उपनिषदें साक्षात् कामधेनु हैं। ब्रह्म सूत्रों की रचना इन्हीं के वाक्यों और शब्दों की संगति लगाने के उद्देश्य से हुई है और भगवद्गीता तो इन्हीं उपनिषद्रूपी कामधेनु का अमृतमय पय है। उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और गीता को ही प्रस्थानत्रयी कहा जाता है। भारतवर्ष में प्रचलित जितने भी आस्तिक सम्प्रदाय हैं, उन सबके आधार यही तीनों ग्रन्थ हैं। अद्वैत, द्वैत, विशिष्टाद्वैत, द्वैताद्वैत, शुद्धाद्वैत आदि सभी सम्प्रदायाचार्यों ने इस प्रस्थानत्रयीपर अपनी टीका लिखकर उसके द्वारा अपने सिद्धान्तों की पुष्टि की है। यद्यपि अपने-अपने स्थानपर सभी आचार्यों के भाष्य की उपादेयता है, किन्तु अद्वैत वेदान्त का प्रतिपादक भगवान् श्रीशङ्कराचार्य का उपनिषद्-भाष्य विचारकों के द्वारा सर्वोपरि माना जाता है।
पाठकों की सुविधा की दृष्टि से प्रस्तुत पुस्तक में अलग-अलग खण्डों में पूर्व प्रकाशित ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माडूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय और श्वेताश्वतर-उपनिषद्के मन्त्र, मन्त्रानुवाद, शाङ्करभाष्य और भाष्यार्थ को एक साथ प्रकाशित किया गया है। इस प्रकार ब्रह्म विद्या के जिज्ञासु साधकों एवं पाठकों को नौ प्रमुख उपनिषदों के शाङ्करभाष्य एक साथ उपलब्ध हो गये हैं। आशा है पाठकगण ‘नौ उपनिषदों’ के इस संग्रह को अपनाकर लाभान्वित होंगे।
Reviews
There are no reviews yet.