Shatnam Stotra Sangrah (शतनामस्तोत्रसंग्रह)
₹40.00
Author | - |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Sanskrit |
Edition | 17th edition |
ISBN | - |
Pages | 222 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 1 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GP0064 |
Other | Code - 1850 |
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CompareDescription
शतनामस्तोत्रसंग्रह (Shatnam Stotra Sangrah) शतनामद्वारा उपासनाके लिये सर्वप्रथम स्तोत्रके प्रत्येक नामके प्रारम्भमें ‘प्रणव’ (ॐ) * अथवा ‘श्री’ लगानेकी विधि है तथा प्रत्येक नामका चतुर्थ्यन्त रूप लिया जाता है अर्थात् चतुर्थी विभक्ति जो कि ‘सम्प्रदान’ कारककी बोधक होती है। किसी नामके अन्तमें चतुर्थी विभक्ति लगानेसे उस नाममें ‘के लिये’ का भाव और जुड़ जाता है। फिर अन्तमें नमनके भावसे ‘नमः’ जोड़ना चाहिये। इस पुस्तकमें इसी प्रकार नामावली बनायी गयी है।
वैसे शतनामद्वारा साधक चार प्रकारसे उपासना कर सकते हैं-१-नमन, २-पूजन, ३-तर्पण तथा ४-हवन। प्रत्येक नामके बाद अपनी अभीष्ट क्रियाके अनुसार निम्न चारोंमेंसे किसी एक पदका प्रयोग करना चाहिये- ‘नमन’ के लिये ‘नमः’; ‘पूजन’ के लिये ‘पूजयामि’; ‘तर्पण ‘के लिये ‘तर्पयामि’ तथा ‘हवन ‘के लिये ‘स्वाहा’। भावप्रधान होनेसे नमनके लिये ‘नमः’ जोड़कर ही नामावलियाँ इस पुस्तकमें दी गयी हैं।
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