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Sanskrit Sahitya Mai Jal Vigyan Aur Jal Prabandhan (संस्कृत साहित्य में जलविज्ञान और जलप्रबंधन)

240.00

Author Radhavallabh Tripathi
Publisher New Bharatiya Book Corporation
Language Hindi
Edition 2023
ISBN 978-81-8315-525-0
Pages 126
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code NBBC0077
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Description

संस्कृत साहित्य में जलविज्ञान और जलप्रबंधन (Sanskrit Sahitya Mai Jal Vigyan Aur Jal Prabandhan) प्रस्तुत पुस्तक आज की उपभोक्तावादी दृष्टि के प्रतिवाद में पंचमहाभूतो और निसर्ग को ले कर भारतीय मनीषा के उस विमर्श को प्रस्तुत करती है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना पहले रहा है। संस्कृत साहित्य के मर्मज्ञ अध्येता प्रोफेसर राधावल्लभ त्रिपाठी ने इस में जलविज्ञान और जलप्रबन्धन की प्राचीन भारतीय परम्परा पर तथ्यपूर्ण गवेषणा के साथ पर्यावरण और जलसंरक्षण के विषय में पारम्परिक प्रणालियों का समीक्षण किया है। संस्कृत में जलविज्ञान को ले कर प्रचुर साहित्य कई शताब्दियों पहले लिखा गया, पर उसकी बड़ी उपेक्षा हुई है। संस्कृत की कतिपय प्रकाशित व हस्तलिखित पुस्तकों से ऐसी दुर्लभ जानकारियों इस पुस्तक में हैं, जिनसे हमारे पुरखों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा अग्रगामी सोच का पता चलता है। पानी का प्राचीन विज्ञान, पानी और भेषजविज्ञान, पानी का प्रजातन्त्र और जलप्रबन्धन, कूप व तालाब के लिये भूमि चयन, कूप व वापी का परिमाण, प्रकार व निर्माणसामग्री, घट्टनिर्माण, जलदान का माहात्म्य, जलप्रबन्धन, जलप्रबन्धन के शिल्पकार, जलप्रबन्धन की सामान्य व्यवस्थाएँ, जलप्रदाय के साधन तथा जलसंचय की व्यवस्थाएँ इत्यादि शीर्षकों के अन्तर्गत जलसंक्षण और जलवितरण की जिन पारम्परिक पद्धतियों को संस्कृत साहित्य के व्यापक और गहन अध्ययन के आधार पर आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी ने इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है, वे निस्सन्देह आज भी अनुकरणीय हैं। यह पुस्तक पर्यावरणविज्ञान के अध्ययन में तो सहायक होगी ही, युवा पीढ़ी को पानी और पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक बनाने में भी सहायक होगी।

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