Batuk Bhairav Stotra (बटुक भैरव स्तोत्र) – 111
₹20.00
Author | Pt. Punit Mishra |
Publisher | Rupesh Thakur Prasad Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2005 |
ISBN | 111-542-2393547 |
Pages | 48 |
Cover | Paper Back |
Size | 13 x 0.5 x 10 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0012 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
बटुक भैरव स्तोत्र (Batuk Bhairav Stotra) ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार राहु-केतु के प्रकोप से बचने के लिए बटुक भैरव की पूजा-अर्चना करना लाभदायक होता है। मंत्र (ऊं ह्वीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकायें ह्रीं बटुकाये स्वाहा) का प्रतिदिन 108 बार जप करने से बटुक भैरव प्रसन्न होते हैं। रविवार, बुधवार और गुरुवार ये 3 दिन भैरवनाथ के माने गए हैं। इन दिनों कोई भी उपाय करने से भैरव प्रसन्न होकर अपने भक्त को सफल होने का आशीर्वाद देते है।
मान्यता है कि जो भी भक्त भगवान बटुक भैरव को टॉफी बिस्किट का प्रसाद चढ़ाता है, उसके संतान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, बटुक भैरव को भगवान शिव और काली का पुत्र माना गया है। उन्हें बाल विशेश्वर भी कहा जाता है। काल भैरव की पूजा करने का सबसे अच्छा और शुभ समय रविवार को शाम 4:30 बजे से 6:00 बजे के बीच राहु काल है। भगवान भैरव को नारियल, सिन्दूर, फूल, सरसों का तेल, काले तिल आदि चढ़ाना चाहिए। प्रत्येक शक्ति पीठ की रक्षा भगवान काल भैरव करते हैं और उन्हें भटुक भैरव के नाम से जाना जाता है।
Reviews
There are no reviews yet.