Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-20%

Sarswati Puja Paddhati (सरस्वती पूजा पद्धति)

24.00

Author Pt. Shri Shiv Datt Mishra Shastri
Publisher Rupesh Thakur Prashad Prakashan
Language Sanskrit
Edition 1st edition, 2006
ISBN 445-542-2392541
Pages 24
Cover Paper Back
Size 21 x 0.5 x 13 (l x w x h)
Weight
Item Code RTP0019
Other Dispatched In 1 - 3 Days

 

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

सरस्वती पूजा पद्धति (Sarswati Puja Paddhati) हर साल फरवरी के महीने में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। ये पर्व कला और विद्या की देवी माँ सरस्वती को समर्पित है। इस दिन पूरे विधि-विधान से माँ सरस्वती की आराधना की जाएगी। बसंत के आगमन का प्रतीक बसंत पंचमी का पर्व इस बार 14 फरवरी को मनाया जाएगा।

सरस्वती माँ की पूजा-विधि

प्रातः काल स्नान कर पीले, बसंती अथवा सफेद वस्त्र धारण कर चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती का चित्र या मूर्ति रखें। सबसे पहले कलश स्थापना करें। इसके बाद गणेश जी की और नवग्रहों की पूजा करने के बाद मां को सफेद, पीले फूल अर्पित कर श्रद्धा के साथ सरस्वती मंत्र का जाप करें। मां को बेसन के लड्डू, पीली या सफेद मिठाई, केले आदि का भोग लगाकर आरती करें।

बसंत पंचमी महत्व

ज्योतिषाचार्य अशोक वाष्र्णेय ने बताया कि इस बार बसंत पंचमी बुधवार 14 फरवरी को मनाई जाएगी। इस खास पर्व पर मां सरस्वती के पूजन के साथ माता रति और कामदेव का भी पूजन किया जाता है। मान्यता है कि मां सरस्वती के जन्मदिन तथा रति व कामदेव के पृथ्वी पर आगमन के रूप में बसंत पंचमी मनाई जाती है। इसलिए दंपति रति और कामदेव का भी इस दिन पूजन करते हैं, जिससे वैवाहिक जीवन में किसी तरह का कष्ट न आए। मान्यता है कि जो लोग बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा करते हैं और उपवास रख श्रद्धापूर्वक उनकी आराधना करते हैं, उन पर मां सरस्वती की विशेष कृपा होती है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Sarswati Puja Paddhati (सरस्वती पूजा पद्धति)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×