Surya Siddhant (सूर्यसिद्धांतः)
₹263.00
Author | Prof. Ramchandra Pandey |
Publisher | Chaukhamba Surbharti Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2023 |
ISBN | 978-93-81484-661 |
Pages | 382 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 3 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SUR0007 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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सूर्यसिद्धांतः (Surya Siddhant) वर्तमान सूर्यसिद्धान्त पञ्चसिद्धान्तिकोक्त सूर्यसिद्धान्त की अपेक्षा अत्यन्त परिष्कृत तथा सुस्पष्ट है। अतः कुछ विद्वानों का मत है कि यह (वर्तमान) सूर्यसिद्धान्त आर्षग्रन्थ नहीं है। सूर्यसिद्धान्त में वर्णित ‘मय’-सूर्य संवाद से इसका आर्षत्व लक्षित होता है। किन्तु इतिहासकारों ने कुछ शंकायें व्यक्त की हैं जो इस प्रकार हैं-
१. आधुनिक सूर्यसिद्धान्त की रचना ‘लाटदेव’ ने की है।
२. आधुनिक सूर्यसिद्धान्त लाटदेव कृत है किन्तु उसके सभी अंश लाटदेव कृत न होकर पञ्चसिद्धान्तिकोक्त सूर्यसिद्धान्त से लिये गये होंगे
३. पञ्चसिद्धान्तिका के कुछ समय बाद किसी ने कई सिद्धान्तों के विशिष्ट अंशों को लेकर नये सिद्धान्त की रचना की हो। रचनाकार का नाम अज्ञात होने से यही ग्रन्थ आर्ष मान लिया गया होगा।
उक्त सन्दर्भ में आचार्य ब्रह्मगुप्त ने लिखा है कि रोमक और वसिष्ठ सिद्धान्तों का ग्रहस्पष्टीकरण आर्यभटीय से मिलता है किन्तु सूर्यसिद्धान्त-रोमक आदि के परिध्यंश आर्यभटीय से न मिलकर मूल सूर्यसिद्धान्त से मिलते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि मूल सूर्यसिद्धान्त को ही किसी आचार्य ने परिष्कृत कर वर्तमान सूर्यसिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत किया है। वर्तमान सूर्यसिद्धान्त में कुल १४ अधिकार हैं। जिनका नाम क्रमशः इस प्रकार है-
१. मध्यमाधिकार, २. स्पष्टाधिकार, ३. त्रिप्रश्नाधिकार, ४. चन्द्रग्रहणाधिकार, ५. सूर्यग्रहणाधिकार, ६. छेद्यकाधिकार, ७. ग्रहयुत्यधिकार, ८. भग्रहयुत्यधिकार, ९. उदयास्ताधिकार, १०. चन्द्रश्श्रृङ्गोन्नत्यधिकार, ११. पाताधिकार, १२. भूगोलाध्यायाधिकार १३. ज्यौतिषोपनिषदाध्याय, १४. मानाध्याय। सभी अधिकारों की श्लोकसंख्या ५०० है।
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