Hitopdesh (हितोपदेश मित्रलाभः)
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Author | Aachrya Shiv Prashad Diwvedi |
Publisher | Bharatiya Vidya Prakashan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2009 |
ISBN | - |
Pages | 133 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0362 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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हितोपदेश मित्रलाभः (Hitopdesh) हितोपदेश भारतीय जन-मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यन्त सरल व सुग्राह्य हैं। विभिन्न पशु-पक्षियों पर आधारित कहानियाँ इसकी विशेषता हैं। रचयिता ने इन पशु-पक्षियों के माध्यम से कथाशिल्प की रचना की है जिसकी समाप्ति किसी शिक्षाप्रद बात से ही हुई है। पशुओं को नीति की बातें करते हुए दिखाया गया है। सभी कथाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं।
हितोपदेश, पञ्चतन्त्र की ही पद्धति पर लिखा गया है। बल्कि इसकी कुल ४३ कथाओं में से २५ कथायें ‘पञ्चतन्त्र’ से ली गई हैं। इस सत्य की स्वयं ग्रन्थकार ने प्रस्तावना भाग में स्वीकार किया है। दोनों में सिर्फ इतना अन्तर है कि हितोपदेश में पञ्चतन्त्र की अपेक्षा, श्लोक अधिक हैं। इनमें से कुछ श्लोक ‘कामन्दकीय नीतिसार’ में मिलते हैं।
हितोपदेश की कथाओं को इन चार भागों में विभक्त किया जाता है —
1. मित्रलाभ | 2. सुहृद्भेद | 3. विग्रह | 4. संधि |
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