Ramayan (रामायण)
₹1,500.00
Author | Pt. Jwala Prasad Mishra |
Publisher | Khemraj Sri Krishna Das Prakashan, Bombay |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2023 |
ISBN | - |
Pages | 1464 |
Cover | Hard Cover |
Size | 24 x 6 x 33 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | KH0047 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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रामायण (Ramayan) पाठक महाशय ! श्रीमद्गोस्वामी तुलसीदासकृत रामायणका महत्व आपसे छिपा नहीं है। प्रतिवर्ष सहस्रों प्रति यंत्रालयोंसे बाहर हो जाती हैं आजदिन भारतवर्षमें ही आर्यजातिके घर घरमें नहीं किन्तु अन्यदेशों में भी रामायणकी ज्योति जगमगा रही है, इस समय चारों पदार्थकी देनेवाली यह रामायण ही कलिकालमें सुरधेनु कल्पवृक्ष व चिन्तामणि है आबाल वृद्ध सबहीके मुखसे रामायणकी चर्चा नगर २ गांव गांवमें सुनाई देती है, इस ग्रन्थमें यह बड़ी विचित्रता है कि विद्वान्से लेकर अल्पज्ञतक अपनी रुचिअनुसार इसका पाठकर अर्थ विचारकर प्रेममें मन होते हैं परन्तु सर्वथा अर्थ विषय साधारण पुरुषोंकी समझमें नहीं आता इस कारण सम्वत् १९४८ में हमने इसकी टीका रचकर जगद्विख्यात श्रीयुत सेठजीमहाशय श्रीखेमराज श्रीकृष्णदासजीको समर्पण किया जिन्होंने अपने यंत्रालय में बहुत उत्तमतापूर्वक इस ग्रन्थको प्रकाशित किया, और हमारे सज्जन राममक्तिपरायण महात्माओंने इसे ऐसी रुचिसे स्वीकार किया कि तबसे अबतक इसकी अनेक आवृत्ति छप चुकीं और बराबर छप रहीं है प्रथम यह जैसी बड़े अक्षरोंमें छापी गई थी उसकी न्योछावर अधिक होनेसे घनहीन पुरुष और बड़ा जिल्द होनेसे देशाटन करनेवाले इसके स्वादसे वंचित रहते थे इस कारण तृतीयावृत्तिमें इसको दो प्रकारसे उत्तमोत्तम छापा है, साधारण मनुष्योंके निमित्त बारीक अक्षरोंमें और सामर्थ्यवानोंको बड़े अक्षरोंमें छापा है इस तृतीयावृत्तिमें अर्थोंका और भी अधिक विस्तार कर दिया गया है। दो चार कथा वाल्मीकादि ग्रन्थोंसे निकालकर मिला दी गई है तथा गीतावली, कवितावली, विनयपत्रिका, रामरसायन आदिके पद कवित्त उचित २ स्थानोंपर लगादिये हैं, पहले मुख्य अर्थका नियम रक्खा है पीछे गौण अर्थ लिखे हैं, सर्वत्र यह नियम रक्खा गया है. इसकी उत्तमता आप पर विदित ही है इससे अधिक कहनेका प्रयोजन नहीं है आशा है कि आप इसे स्वीकार कर मेरे परिश्रमको सफल करेंगे।
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