Tripindi Shraddh Paddhati (त्रिपिण्डी श्राद्ध पद्धति)
₹50.00
Author | Shri Dhar Shastri |
Publisher | Shastri Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2022 |
ISBN | - |
Pages | 144 |
Cover | Paper Back |
Size | 17 x 0.5 x 11 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SP0016 |
Other | Dispach in 1-3 days |
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CompareDescription
त्रिपिण्डी श्राद्ध पद्धति (Tripindi Shraddh Paddhati) त्रिपिंडी श्राद्ध का अर्थ होता है। हमारे द्वारा पिछली तीन पीढ़ियों का पूर्वजों का पिंडदान करना. त्रिपिंडी श्राद्ध में ब्रह्मा, विष्णु और शिव की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा करके पूजन करने का विधान होता है। परिवार में प्रेतवाधा हो अथवा स्वप्न में परिवार का कोई प्रेत स्वरूप दिखायी पड़े तो उसी की आत्मा की शान्ति के लिए त्रिपिण्डी श्राद्ध होता है। यह श्राद्ध गयाजी में अथवा वाराणसी क्षेत्र में अथवा किसी नदी-सरोवर आदि के समीप अथवा शिवमन्दिर के समीप पीपल वृक्ष की छाया में करने का विधान है। यह श्राद्ध प्रायः कार्तिक से माघ माह तक अथवा कभी शुद्ध समय में किया जाता है। दोनों पक्ष की पंचमी, अष्टमी, एकादशी, तेरस-तिथियों में करना चाहिए। त्रिपिण्डी श्राद्ध सुयोग्य ब्राह्मणों द्वारा कराना चाहिए। श्राद्ध समाप्त होने पर घर में कलश पूजन-हवन अवश्य करना चाहिए। प्रेतत्व निवृत्ति के लिए श्रीमद्भागवत का पाठ-कथा करने-कराने का विशेष महत्त्व है। यदि सप्ताह श्रवण की असमर्थता हो तो सुख-सागर का तीन पाठ स्वयं करे।
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