Antar Agni Part-5 (अंतर अग्नि भाग-5)
₹170.00
Author | Osho |
Publisher | Daimond Pocket Books |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2022 |
ISBN | 81-89605-72-0 |
Pages | 778 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | DPB0050 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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अंतर अग्नि भाग 5 (Antar Agni Part 5) शरीर के भीतर घर्षण पैदा करने की यौगिक प्रक्रियाएं हैं। इस घर्षण से दो काम लिए जा सकते हैं। अनेक बार योगी अपने शरीर को इस घर्षण से उत्पन्न अग्नि में ही समाहित करते हैं। यह एक उपयोग है। यह मृत्यु के समय उपयोग में लाया जा सकता है।
एक दूसरा उपयोग है, जिसका कृष्ण प्रयोग कर रहे हैं। योगाग्नि में अपनी इंद्रियों को समाहित, अपनी इंद्रियों को समर्पित कर देते हैं। वह दूसरा उपयोग है; वह जीते-जी किया जा सकता है। उसमें और भी सूक्ष्म अग्नि पैदा करने की बात है। वह अग्नि भी भीतर पैदा हो जाती है। उस अग्नि से शरीर नहीं जलता, लेकिन शरीर के रस जल जाते हैं। उस अग्नि से शरीर नहीं जलता, लेकिन इंद्रियों के रस और आकांक्षाएं जल जाती हैं। उससे शरीर नहीं जलता, लेकिन इंद्रियों के जो सूक्ष्म तंतु हैं, वे जल जाते हैं।
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