Grihastha Main Kaise Rahe ? (गृहस्थ में कैसे रहें ?)
₹20.00
Author | Swami Ramsukh Das |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Hindi |
Edition | 82th edition |
ISBN | - |
Pages | 128 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 1 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GP0007 |
Other | Code - 427 |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
गृहस्थ में कैसे रहें (Grihastha Main Kaise Rahe) वर्तमान समयमें हिन्दू-संस्कृतिकी आश्रम-व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो रही है। चारों आश्रमोंका मूल जो गृहस्थाश्रम है, उसकी स्थिति बड़ी शोचनीय हो चुकी है। गृहस्थको विभिन्न समस्याओंने जकड़ रखा है और वह निराशा, अशान्ति एवं तनावयुक्त जीवन जी रहा है। परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराजके पास भी ऐसे अनेक गृहस्थ स्त्री-पुरुष आते हैं और अपने व्यक्तिगत जीवनकी समस्याएँ उनके सामने रखकर उनका समुचित समाधान पाते हैं। अतः एक ऐसी पुस्तककी आवश्यकता समझी गयी, जिसमें गृहस्थ-सम्बन्धी आवश्यक बातोंकी जानकारीके साथ-साथ गृहस्थोंको अपनी विभिन्न समस्याओंका समुचित समाधान भी मिल सके। प्रस्तुत पुस्तक उसी आवश्यकताकी पूर्ति करती है। पाठकोंसे निवेदन है कि वे इस पुस्तकको स्वयं भी मननपूर्वक पढ़ें और दूसरोंको भी पढ़नेकी प्रेरणा करें। यह पुस्तक प्रत्येक घरमें रहनी चाहिये। विवाह आदिके अवसरपर इस पुस्तकका वितरण करना चाहिये।
Reviews
There are no reviews yet.