Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-15%

Dash Maha Vidya Tantra Mahashastra (दस महाविद्या तंत्र महाशास्त्र)

1,020.00

Author Pt. Rajesh Dixit
Publisher Deep Publications
Language Hindi & Sanskrit
Edition 9th edition
ISBN 81-87250-06-2
Pages 1656
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0436
Other Dispatched in 1-3 days

 

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

दस महाविद्या तंत्र महाशास्त्र (Dash Maha Vidya Tantra Mahashastra) दश महाविद्या तन्त्र महाशास्त्र में देवी के दसों रूपों का सागोपाङ्ग वर्णन किया गया है। इस अप्राप्य ग्रन्थ में सम्पूर्ण देवियों के पूजा विधान, जप विधि, कीलक, अर्गल, स्त्रोत, कवच, हृदय, सहस्त्रनाम आदि विधि विधान पूर्वक दिये गये हैं। भगवती दुर्गा के बाद भगवती काली उपासना का ही हमारे देश में सर्वाधिक प्रचलन है। कलकत्ता में कालीघाट का मन्दिर जहाँ विश्व प्रसिद्ध हैं, वहीं अन्य स्थानों पर भी भगवती काली के अनेक प्रसिद्ध मन्दिर पाये जाते हैं।

भगवती काली के अनेक भेद है उनमें दश महाविद्यान्तर्गत प्रथम महाविद्या भगवती आद्याकाली को साक्षात् ब्रह्मस्वरूपा, अनादि एवं अनन्ता माना गया है। वे ही परब्रह्म शिव की पराशक्ति है। सप्तसती में जिन भगवती का वर्णन है उन्हें आद्याकाली का अवतार कहा जा सकता है। भगवती आद्याकाली के रूप भेदों में दक्षिणा काली स्वरूप स्नद्य फलप्रद माना गया है। भगवती दक्षिणाकाली के अनेक मन्त्र है। यदि श्रद्धा भक्तिपूर्वक भगवती के मन्त्रों का साधन किया जाय तो साधक को चतुर्वग की प्राप्ति तो होती है, अन्त में भगवती का सामुज्य भी प्राप्त होता है।

प्रस्तुत संकलन में भगवती दक्षिणाकाली के मन्त्रों की साधन-विधि का शास्त्रीय एवं विस्तृत उल्लेख किया गया है साथ ही उनके अन्य रूपों-गुह्य काली, भद्रकाली, श्मशान काली तथा महाकाली के विविध मन्त्रों तथा उनकी साधन विधि का वर्णन किया है। दशमहाविद्यान्तर्गत भगवती तारा द्वितीय विद्या है। भगवती आद्याकाली तथा भगवती, तारा में नाममात्र का ही भेद है। यही कारण है कि भगवती आद्याकाली के बाद भगवती तारा की ही सर्वाधिक उपासना की जाती है।

भगवती तारा के तीन रूप है- (१) तारा, (२) एकजटा तथा (३) नील सरस्वती। ‘विद्याराज्ञी’ भी इन्हीं भगवती का एक अन्य स्वरूप है। प्रस्तुत संकलन में भगवती तारा से सम्बन्धित विविध मन्त्र तथा उनकी साधन विधियों का सविस्तार वर्णन किया गया है। दशमहाविद्यान्तर्गत श्री विद्या, ललिता, राजराजेश्वरी, त्रिपुरा, महात्रिपुर सुन्दरी, वाला, पञ्चदशी आदि नामों से प्रसिद्ध तृतीय महाविद्या भगवती षोड्शी के स्वरूप तत्व, यन्त्र-तन्त्र, मन्त्र, न्यास, जप तथा पूजा विधि के अतिरिक्त इनके भेद तथा गोपाल सुन्दरी मन्त्र की साधन-विंधि का शास्त्रीय विवेचन प्रस्तुत किया गया है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dash Maha Vidya Tantra Mahashastra (दस महाविद्या तंत्र महाशास्त्र)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×