Chhando Manjari (छन्दोमंजरी)
₹240.00
Author | Pt. Jagannath Shastri Tailang |
Publisher | The Bharatiya Vidya Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2nd edition, 2022 |
ISBN | 978-93-91512-53-8 |
Pages | 334 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0009 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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छन्दोमंजरी (Chhando Manjari) श्री गङ्गादासप्रणीत “छन्दोमञ्जरी” ई० त्रयोदश शतक से ई० पञ्चदश शतक के मध्य गुंफित छन्दशास्त्र सम्बन्धी विशिष्ट ग्रन्थ रत्न है। इस ग्रन्थ की विशेषता यह है कि यह छन्दशास्त्र का लक्षणग्रन्थ होते हुए भी इसके स्वरचित उदाहरणों में वृत्त एवं जातिछन्दों में कवि ने श्रीकृष्ण लीला का सुन्दर चित्रण किया है। “छन्दोमञ्जरी” छः स्तबकों में निबद्ध कृति है। इसके “मुखबन्ध” नामक प्रथम स्तबक में वृत्त परिचय, उसके भेद, गुणप्रतीक, उनका प्रयोग, गुरु लघु सिद्धान्त, यति तथा उक्त आदि छब्बीस जातियों का नामोल्लेख किया गया है। ‘समवृत्त” नामक द्वितीय स्तबक में एकाक्षर वृत्ति ‘उक्था’ जाति से लेकर षड्विंशत्यक्षरा ‘उत्कृति” जाति तक १२० समवृत्तों का तथा कतिपय दण्डको (अर्थ दण्डक, प्रचितक दण्डक आदि का) सोदाहरण विवेचन किया गया है। तृतीय स्तबक में अर्धसम चतुर्थ स्तबक में विषम वृत्त तथा पञ्चम स्तबक में मात्रा वृत्त विवेचित है। षष्ठ स्तबक में वृत्त (चूर्णक) उत्कलिका- प्राय एवं वृत्तगन्धि त्रिविध गद्यों का सोदाहरण निरूपण किया गया है।
इस ग्रन्थरत्न पर पण्डित श्री जगन्नाथ शास्त्री तैलङ्ग द्वारा संस्कृत और हिन्दी दो व्याख्याएँ विस्तार से विरचित हैं तथा संस्कृत-हिन्दी भूमिकाओं में छन्दशास्त्र से सम्बन्धित विविध जानकारी देने का प्रयास किया गया है। अध्यापकों तथा छात्रों के लिये “छन्दोमञ्जरी” का यह सम्पादित संस्करण अत्यन्त उपयोगी होगा।
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