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Sahitya Darpana (साहित्यदर्पणः)

2,120.00

Author Prof. Kaushalendra Pandey
Publisher The Bharatiya Vidya Prakashan
Language Hindi & Sanskrit
Edition 2021
ISBN 978-81-951790-1-5
Pages 795
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0396
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Description

साहित्यदर्पणः (Sahitya Darpana) भारतीय अलङ्कारशाख की परम्परा में एक अद्वितीय ग्रन्थ है जो कि साहित्य के प्रायः सभी पक्षों का प्रतिपादन करता है। दृश्य और श्रव्य काव्यों के भेद-प्रभेद, काव्य का स्वरूप, शब्दार्थ का काव्योचित विवेक काव्य के प्रमुख घटक तत्त्व रस गुण-अलङ्कार और अनपेक्षित दोष आदि का निरूपण इस ग्रन्थ में आचार्य विश्वनाथ ने किया है। संस्कृत साहित्य शास्त्र के समग्र अध्ययन के लिए गुरु- शिष्यपरम्परा में इस ग्रन्थ की लोकप्रियता सुविदित है। आचार्य विश्वनाथ संस्कृत साहित्य शास्त्र को पूर्णतया जिज्ञासु तक सरल और सम्यक् रूप से सम्प्रेषित करना चाहते हैं, यह इस ग्रन्थ की अपनी विशेषता है। साहित्य दर्पण की कतिपय टीकाएँ ही उपलब्ध हैं, इनमें प्रकृत टीका “कुसुमप्रतिमा” अन्यतम है। शास्त्र की अन्थियों को टीका प्रन्थ ही सुलझाते हैं, इस प्रकार की जो विद्वज्जन में श्रवण परम्परा है, उसका साक्षात् प्रमाण कुसुमप्रतिमा टीका है। मुझे साहित्यदर्पण के अध्ययन काल में यही टीका प्राप्त हुई थी और आज भी मेरे पास यह पुस्तक सुरक्षित है। इसकी छपाई कलकत्ता में जब हुई थी, तो उस समय छपाई के साधन बहुत विकसित नहीं थे। छपाई विशेषज्ञों के अनुसार नुसार इस साहित्य दर्पण और इसमें अनुस्यूत टीकाग्रन्थ “कुसुमप्रतिमा” की छपाई भी ऐसे ही पत्थर के अक्षरों से हुई थी जो कि कठिनाई से पढ़े जाने योग्य और दुर्बोध है।

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