Aatma Bodha (आत्मबोध:)
₹80.00
Author | Keshav Prasad Kaya |
Publisher | Chaukhamba Surbharati Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2016 |
ISBN | 978-9385005527 |
Pages | 83 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSP0045 |
Other | Dispatched in 3 days |
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आत्मबोध: (Aatma Bodha) चिन्मय मिशन अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आध्यात्मिक संस्था है जिसके अध्यक्ष है परम आदरणीय स्वामी श्री तेजोमयानन्द जी। चिन्मय मिशन की ही कोलकाता शाखा के आचार्य पद का भार सन् २००२ में परम श्रद्धेय स्वामी श्री अद्वैतानन्द जी ने ग्रहण किया। उन्होंने प्रातःकालीन सत्र में वेदान्त कक्षा का प्रारम्भ ‘तत्त्वबोध’ के अध्यापन से किया था। वेदान्त एक अत्यन्त गहन गम्भीर विषय है जिसका सरलता से निरूपण करना अत्यन्त कठिन कार्य है, लेकिन स्वामी श्री अद्वैतानन्द जी ने अनेक उपनिषदों, श्रीमद्भगवद्गीता, उपदेशसार, विवेकचूड़ामणि, पञ्चदशी, आत्मबोध आदि ग्रन्थों का विवेचन अत्यन्त सरल एवं सुबोध शैली में किया। मुझे उनकी कक्षाओं में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उसी सिलसिले में मैंने अनुभव किया कि शिक्षण-क्रम में शिक्षार्थियों के मन में अनेक प्रकार के प्रश्न उठते हैं जिन्हें समयाभाव के कारण कक्षा में पूछना सम्भव नहीं हो पाता। इसी को ध्यान में रखकर मैंने ‘आत्मबोध’ के श्लोकों की व्याख्या को प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इस प्रस्तुतीकरण में मेरा अपना कुछ भी नहीं है; जो कुछ भी मैंने आचार्यप्रवर स्वामी श्री अद्वैतानन्द जी से सुना, जैसा मैंने अपनी अल्प बुद्धि के आधार पर समझा; उसी अनुसार मैंने प्रस्तुतीकरण का प्रयास किया है। जिस दिन कक्षा में मैं अनुपस्थित रहा उस दिन के श्लोकों की व्याख्या का प्रस्तुतीकरण मैंने परम श्रद्धेय स्वामी श्री तेजोमयानन्द जी के भाष्य के आधार पर किया है। जैसा कि मैंने कहा है इस पुस्तक में जो कुछ भी है वह परम श्रद्धेय स्वामी श्री तेजोमयानन्द जी एवं स्वामी श्री अद्वैतानन्द जी के द्वारा प्रदत्त ज्ञान के आधार पर है। मुझ में वेदान्त की विद्वत्ता नहीं है अतः प्रस्तुतीकरण में कोई भूल हो तो उसे मेरी समझ की ही भूल माननी चाहिये। मुझे आशा है कि यह पुस्तक वेदान्त के प्रारम्भिक छात्रों के लिये उपयोगी सिद्ध होगी। मैं अपनी हार्दिक कृतज्ञता परम श्रद्धेय स्वामी श्री तेजोमयानन्द जी एवं स्वामी श्री अद्वैतानन्द जी के प्रति ज्ञापित करता हूँ जिनके कृपा प्रसाद से मुझे वेदान्त के प्रारम्भिक ज्ञान (कहना चाहिये कि ककहरा का ज्ञान) को आत्मसात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस पुस्तक के प्रकाशन का प्रथम श्रेय श्री नवरत्न जी ढंढारिया को देता हूँ जिनके कारण मेरा परिचय श्री एस०एन० खण्डेलवाल जी से हुआ।
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