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Acharya Varahamihir ka Jyotish Me Yogdan (आचार्य वराहमिहिर का ज्योतिष में योगदान)

320.00

Author Dr. Bhojraj Dwivedi
Publisher Ranjan Publication
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2018
ISBN 81-88230-00-X
Pages 352
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code RP0066
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Description

आचार्य वराहमिहिर का ज्योतिष में योगदान (Acharya Varahamihir ka Jyotish Me Yogdan) भारतीय ज्योतिष के पितामह कहे जाने वाले आचार्य वराहमिहिर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर हिन्दी में यह सर्वप्रथम शोध प्रबन्ध है। आचार्य वराह मिहिर का कृतित्व सागर के समान गहन और विस्तृत है। इस पर शोध कार्य प्रस्तुत करने वाला यह ग्रन्थ अनमोल मोती के समान है। इस प्रकार देखा जाय तो डॉ. भोजराज द्विवेदी ने मोती में सागर भरने का काम किया है।

डॉ. द्विवेदी ने इस शोध ग्रन्थ में आचार्य वराह मिहिर की ज्योतिष रचनाओं का गहन अध्ययन प्रस्तुत करने के साथ-साथ यह ऐतिहासिक तथ्य भी उजागर किया है कि दिल्ली के पास महरौली ही वास्तव में आचार्य वराह की निवास भूमि मिहिरावली और तथाकथित कुतुब मीनार उनकी वेधशाला थी। इस तथ्य को डॉ. द्विवेदी ने मुष्ट प्रमाणों और चित्रों द्वारा सिद्ध किया है।

इस ग्रन्थ रत्त में आप पायेंगे आचार्य वराहमिहिर का वंश परिचय, जीवन तथा रचनाओं का परिचय, उनके आराध्यदेव सूर्य की कृपा, महाराज विक्रमादित्य के दरबार में स्थान पाना, यूनान-यात्रा और खन्ना से विवाह तथा बहुत-सी सटीक भविष्य वाणियों का वर्णन। यही नहीं, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों काम में आने वाली उपयोगी जानकारियाँ बृहत संहिता में आचार्य वराहमिहिर ने दी हैं। उदाहरणार्थ वास्तु विज्ञान, वृक्षारोपण, भूमि में जल कहां मिलेगा? प्रतिमा-निर्माण, वज्रलेप जो करोड़ साल तक भी खराब नहीं होता। (यही कुतुब मीनार के पास लौह-स्तम्भ का रहस्य है)। पुरुष लक्षण, स्त्री लक्षण, गौ, कुक्कुर, हस्ती, छाग, अश्व आदि के लक्षण, रत्न परीक्षा, स्त्री की महत्ता, कान्दर्पिका, विवाह, शकुन, अंगविद्या आदि विषयों को डॉ. द्विवेदी ने प्रस्तुत ग्रन्थ में समाहित किया है। हमें पूर्ण आशा है कि इन विषयों के अध्ययन से प्रत्येक व्यक्ति लाभान्वित होगा, चाहे वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में काम करता हो।

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