Bavasir Ki Prakratik Chikitsa (बवासीर की प्राकृतिक चिकित्सा)
₹25.00
Author | Dharmchand Saravagi |
Publisher | Sarv Sewa Sangh Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 15th edition |
ISBN | - |
Pages | 64 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SSSP0082 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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CompareDescription
बवासीर की प्राकृतिक चिकित्सा (Bavasir Ki Prakratik Chikitsa) बवासीर रोग कई नामोंसे विख्यात है, जैसे-‘अर्श’, ‘मस्से’, ‘मोहके बवासीर’ तथा अंग्रेजीमें ‘पाइल्स’ व ‘होमोराइड्स’। भारतमें कहीं-कहीं इस व्याधिको ‘मूल व्याधि’ के नामसे पुकारते हैं और कुछ जगहोंमें ‘मूल शंका’ के नामसे।
आधुनिक सभ्य समाजके लोगोंमें कोष्ठबद्धता और उसका अन्तिम परिणाम बवासीर, दोनों समान रूपसे सामान्यतः देखनेमें आते हैं। पुराने जमानेमें यह रोग केवल तीस प्रतिशत बूढ़ोंमें ही पाया जाता था, किन्तु आज तो यह रोग आमतौरपर युवकों और युवतियोंमें भी पाया जाने लगा है।
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