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Brihad Vakahada Chakram (बृहदवकहडाचक्रम्)

40.00

Author Pandit Shiv Prasad Sharma
Publisher Bharatiya Vidya Sansthan
Language Hindi
Edition 1st edition
ISBN -
Pages 88
Cover Paper Back
Size 12 x 1 x 18 (l x w x h)
Weight
Item Code BVS0171
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Description

बृहदवकहडाचक्रम् (Brihad Vakahada Chakram) जहाँ ‘वेदोऽखिलो धर्ममूलम्’ यह सर्वमान्य सिद्धान्त है वहीं उसी वेद-विहित धर्म को देखने के लिये ‘ज्योतिष चक्षुरुच्यते’ यह भी अत्याज्य सिद्धान्त है। व्यवहार जगत को सही-गलत, उचित-अनुचित समझने के लिये चक्षु की ही सर्वाधिक उपयोगिता है। आँखें नहीं तो कुछ भी नहीं। अतः उत्तम अङ्ग आँख से ही सब कुछ देखना सम्भव है इसलिये यह छोटी सी पुस्तक ‘बृहदवकहडाचक्रम्’ के सहारे मुहूर्त शोधन सम्बन्धी समस्त कार्य साधारणतया सम्पन्न किया जा सकेगा। मुहूर्त बताने के कई साधन हैं, जैसे-

१. ग्रह, नक्षत्र, भोग आदि पञ्चाङ्गों द्वारा है। २. स्वर-साधन द्वारा। ३. प्रश्न द्वारा।

इन तीनों साधनों में पञ्चाङ्ग की उपयोगिता सिद्ध होती है।

प्रस्तुत पुस्तक संम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी की प्रथमा परीक्षा के पाठ्यक्रम में निर्धारित है। सम्पादन का उद्देश्य परीक्षार्थियों के परीक्षाफल की सफलता तो है ही, साथ ही अपने देश में हिन्दू संस्कृति की विशेषता होने से सभी संस्कार और यात्रा आदि में मुहूर्त शोधन के लिये गाँव व नगर के ब्राह्मणों, विद्वानों, पुरोहितों के लिये भी अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी।

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