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Hanuman Natakam (हनुमान नाटकम्)

320.00

Author Prof. Veda Prakash Upadhyay
Publisher Bharati Prakashan
Language Hindi & Sanskrit
Edition 2019
ISBN 978-93-88019-19-4
Pages 126
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code BP0021
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Description

हनुमान नाटकम् (Hanuman Natakam)  महाकवि श्री हनुमत्प्रणीत ‘हन्नुमनाटकम’ एक श्रेष्ठ एवं कालजयी नाट्यकृति है। तत्व चिंतकों एवं मनीषियों का अभिमत है कि इसे ज्ञानिवों में अग्रगण्य श्री हनुमान जी ने लिखा है। इस कालजयी कृत्ति की अर्थवत्ता, शित्त्य एवं संवेदना के विषय में कुछ कहना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा होगा। 579 छंदों का जाय ग्रहण कर चौदह जंकों में निबद्ध यह महत्वपूर्ण कृति संस्कृत वाङ्मय की अक्षय निधि है। राम काव्य- परंपरा में यह ग्रंथ अपने वैशिष्ट्य के कारण सुमेरु सदृश है। काव्य एवं शिल्प का औदार्य इसकी विशिष्टता का प्रमाण है। इसमे पौराणिक चेतना को वाणी दी गयी है। जगत व्यवहार एवं सामाजिक प्रपंच को रेखांकित न करके मात्र राम के आदर्श रूप एवं उनके प्रति असीम बद्धाभाव की ही प्रतिष्ठा की गयी है। इसमे नाटक के शास्त्रीय स्वरूप का निदर्शन नहीं किया गया है, प्रत्युत भावनाओं के साथ श्रद्धा को जोड़कर इसे मूर्त रूप प्रदान किया गया है।

वस्तुतः इसमें जी कुछ भी अनुस्यूत है, वह रचनाकार की आस्था का ही अतिरेक है। श्रीराम के सम्पूर्ण व्यत्तित्य को परिभाषित करके आदर्श समाज की स्थापना ही कृतिकार का अभीष्ट है। प्रभु राम के समय जीवन का दिग्दर्शन कराते हुए भारतीय संस्कृति को नव्यता प्रदान करना भी रचनाकर का सुविचारित लक्ष्य रहा होगा। इस नाट्यकृति में राम के जीवन के अनेक मार्मिक प्रसंगों की उद्भावना की गयी है। यह सर्वविदित है कि हनुमान स्वयं सर्वश्रेष्ठ रामभक्त थे। यही कारण है कि उनके द्वारा प्रयुक्त छंदों में आस्था एवं विश्वास का ही अतिरेक है। सेवक एवं सेव्य भाव की मर्यादा कहीं तिरोहित होने नहीं पायी है। रचनाकार के हृदय कि सम्पूर्ण श्रद्धांजलि संवेदना संस्कार बनकर प्रस्तुत हुई है। इस नाट्यकृति में प्रयुक्त सुंदर एवं सारगर्भित छंदों का वैशिष्ट्य शिल्प के फलक पर सौन्दर्य विधायक सिद्ध हुआ है। भाव एवं शिल्प कहीं शिथिल नहीं होने पाया है। सर्वतोभावेन यह कृति आस्तिकजनों के लिए सदैव प्रेरणास्पद बनी रहेगी ।

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