Jatak Alankar (जातकालंकार)
₹85.00
Author | Dr. Suresh Chandra Mishr |
Publisher | Ranjan Publication |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2016 |
ISBN | - |
Pages | 144 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 1 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RP0014 |
Other | Dispatch In 1-3 days |
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CompareDescription
जातकालंकार (Jatak Alankar) श्री गणेशकवि कृत जातकालंकार वास्तव में ही जातक शाखा का अलंकार भूत ग्रन्थ है। प्राचीन शुकसूत्रों का अर्थपल्लवन श्लोकबद्ध रीति से करके गणेश कवि ने सरस शैली में जातकालंकार की रचना की थी। ये काव्य, व्याकरण आदि के भी विद्वान् थे, ऐसा इन्होंने स्वयं उल्लेख किया है। जातकालंकार के योगों की बड़ी ख्याति है। अनुभव में इसके अधिकांश योग खरे उतरते हैंशक संवत् 1535 में इसकी रचना हुई थी। तभी से यह ग्रन्थ आबालवृद्ध सभी में समान रूप से लोकप्रिय है।
प्रस्तुत संस्करण में शुकसूत्रों का मूल पाठ रखकर सम्बन्धित श्लोक से उसका अर्थ संगमन करते हुए नवाख्या हिन्दी व्याख्या की गई है जो अनेकत्र प्रचलित व्याख्यान भ्रमों को तोड़ती हुई प्रतीत होगी। अतः हमारा विश्वास है कि यह अन्वर्थ संज्ञा टीका सिद्ध होगी।
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