Kashi Ka Sankshipt Itihas (काशी का संक्षिप्त इतिहास)
₹281.00
Author | Shambunath Manav |
Publisher | The Bharatiya Vidya Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 2nd edition, 2023 |
ISBN | 978-81-935395-7-6 |
Pages | 264 |
Cover | Paper Back |
Size | 13 x 2 x 21 (l x w x h ) |
Weight | |
Item Code | TBVP0012 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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काशी का संक्षिप्त इतिहास (Kashi Ka Sankshipt Itihas) जीवन एक प्रश्न है, तो धर्मवान् होना ही उसका उत्तर है। अनन्तकाल से भटके लोगों को रास्ता दिखाने का काम धर्म करता आया है। सिद्धार्थ गौतम को गौतम बुद्ध ही नहीं भगवान् बुद्ध बनाने का काम धर्म ने ही किया। हमारे मनुष्य होने की सार्थकता धर्मवान् होने में ही है। भौतिक जगत् से सूक्ष्म जगत् का रास्ता धर्म से ही होकर जाता है। धर्म से अलग हटकर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। क्योंकि उसकी वैचारिकता ही उसके धर्मवान् होने का मार्ग प्रशस्त करती है। प्रकृति की इस विशाल सृष्टि में अन्य प्राणियों से वरिष्ठता की श्रेणी में आदमी को खड़ा करने का काम उसका विचार ही करता है। आदमी के जीवन में उसके पुस्तकीय स्वरूप का उदय उसके वैचारिकता की ही देन है। यहीं नहीं आदमी की बर्बरता और उसकी आक्रमकता को दया और विनम्रता के शीतल जल से सींचने का भी काम पुस्तकें ही करती हैं। अनेकों महापुरुषों ने अपने भीतर उठते हिंसक ज्वार को शान्त करने की प्रेरणा पुस्तकों से ही ग्रहण किया है।
साधक को अपनी धर्म साधना में पुस्तक एक सशक्त माध्यम का काम करती है। पुस्तकें अकेले में एक मार्ग मित्र की भी भूमिका में होती हैं। आज जीवन में मानव ने जो भी विकास की दूरी तय किया है। उसके पीछे पुस्तकों द्वारा दी गयी ऊर्जा का ही बल है। धर्म नगरी काशी के बारे में पाठक को सही मार्ग-दर्शन प्राप्त हो सके इसके लिए धर्म शास्त्रों में काशी के इतिहास का उल्लेख किया गया है। काशी के प्रति धार्मिक अवधारणा का प्रमाणीकरण शास्त्रीय उल्लेख से ही हो सकता है। शास्त्रीय इतिहास के अलावा आज के भी इतिहासकारों के ऐतिहासिक मत को संक्षिप्त में रखा गया है।
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