Keshavi Jatak (केशवीजातक)
₹229.00
Author | Pt. Sri Jagdish Prasad Tripathi |
Publisher | Khemraj Sri Krishna Das Prakashan, Bombay |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2021 |
ISBN | - |
Pages | 275 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 1 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | KH0011 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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केशवीजातक (Keshavi Jatak) “ज्योतिषं नयनं स्मृतम्। ”
प्रिय पाठकगण। आप सब महाशयोंको विदितही होगा कि, चारों वर्णों को शिक्षाप्रणाली बतलानेवाला दिव्यपुस्तक वेद है और उसके शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष यह छः अंग हैं और पडंग वेद पढना ब्राह्मणोंसे लेकर वैश्यों पर्यन्त तीनों वर्षोंका धर्म है। उसही हमारे शिरोधार्य वेदका एक अंग ज्योतिष है। उसके दो भाग हैं-एक व्यक्त कहिये प्रत्यक्ष दृष्टफल ग्रहण अस्तोदयादि, दूसरा अव्यक्त कहिये अदृष्टभविष्य-फल जातक और वर्षफलादिक। अब यहां अपनेको जातकके विषे विचार कर्त्तव्य है कि, प्राणीके यावज्जन्ममें जो शुभ किंवा अशुभ फल होता है कहिये कौन २ समयमै किसको लाभ किंवा हानि जय किंवा पराजय किससे सुखोत्पत्ति किंवा पीडा और कौन समयमें रोगादिकों से मरणप्राय संकट और शरीरसुख, कुटुम्बसुख, भातृसुख, मित्रसुख, पुत्रसुख, कलत्रसुख, पितृमातृसुख इत्यादि बातोंका ज्ञान जिस ग्रंथसे होता है कहिये ज्योतिषीलोग जिस ग्रंथके आधारसे जन्मपत्रिका लिखते हैं उसको जातक ऐसा कहते हैं।
संस्कृतमें जातकपर बहुत ग्रंथ हैं परन्तु सबमें प्रसिद्ध और विद्वन्मान्य ऐसा ग्रंथ केशवाचार्यकृत जातकपद्धति जिसको केशवीजातक कहते हैं सो यह ग्रंथ संस्कृत भाषामें है, इसवास्ते उसका उपयोग मनुष्योंको बहुत होता नहीं। इसवास्ते उसका सान्वय भाषाटीका निर्माण किया, कारण इसकी सहायतासे केशवी जातकका। यथार्थ ज्ञान होके पत्रिकाका गणित कैसे करना सो खुलासे मालुम होगा। इसमें केशवीजातकके मूल श्लोक लिखके वह सब श्लोकका अन्वय और खडी भाषामें अर्थ लिखा है तथा ग्रह और पद्मल इत्यादि गणित अल्पायाससे करनेमें आवें इसवास्ते सारणीको योजना करके उस सारणीका कैसा उपयोग करना यह स्पष्ट गीतसे लिखके उनके पृथक् पृथक् उदाहरण लिखे हैं और जन्मपत्रिकाका गणित कैसे करना यह समझनेके वास्ते उत्तम उदाहरण लिखा है। इसमें वर्गमूल निकालनेकी रीति और उच्चबल तीन प्रकारसे करनेकी रीति लिखी है और ग्रहोपरि तथा भावोपरि दृष्टि करनेको तीन प्रकारसे लिखा है और अष्टोत्तरदिशा और विंशोत्तरी-दशा और योगिनी यह तीनों दशाओंकी नक्षत्रोंसे उत्पत्ति और उनके पति और वर्षादि दशा अन्तर्दशा कोष्ठक प्रत्यंतरदशा लिखके जन्मपत्रिका लिखनेका क्रम बनाया है। यह ग्रंथ लोकमें उपयुक्त होनेके वास्ते जो परिश्रम किया है सो देखनेसे मालूम होगा। अब आशा है कि गुणग्राहक सज्जन पुरुष इसको अवलोकन कर मेरे परिश्रमको सफल करेंगे।
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