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Maharana Pratap (महाराणा प्रताप)

55.00

Author Kaushal Prasad Jain
Publisher Pilgrims Publication
Language Hindi
Edition 2nd edition
ISBN 81-7769-408-1
Pages 136
Cover Paper Back
Size 12 x 2 x 18 (l x w x h)
Weight
Item Code PGP0029
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Description

महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित एक ऐसा नाम है, जिसे पढ़ते, सुनते या कहते ही चेतन-अचेतन मस्तिष्क में सर्वस्व त्याग का शौर्य झंकृत होने लगता है। स्पष्ट परिलक्षित है कि देशभक्ति के पथ पर सर्वस्व त्याग ही जीवन की पूर्णता है। आखिर ऐसा क्यों न हो? क्योंकि महाराणा प्रताप देशभक्ति के पथ पर सर्वस्व त्याग के दैदिप्यमान नक्षत्र हैं।

राजस्थान ही क्या, भारतवर्ष के गौरव स्थल मेवाड़ क्षत्रियत्व ही नहीं, सम्पूर्ण हिन्दुत्त्व के विराट दर्शन का प्रतिबिम्ब है। फिर मेवाड़ के तपस्थली चित्तौड़ में शौर्य के प्रतीक गुहिलवंश में प्रताप का जन्म ऐसे काल-खण्ड में हुआ था, जब मुगलों के अत्याचार से हिन्दुत्त्व के चेहरे पर कालिमा पोती जा रही थी, भारतीयता का मान-मर्दन तथा हिन्दुओं के मन्दिरों एवं तीर्थ स्थलों पर कुठाराघात राघात किया जा रहा था। इतना ही नहीं, राजस्थान सहित समस्त देश के अनेक राजा रजवाड़े अपनी भौतिक सुख-सुविधा को बचाये एवं बनाये रखने के लिये मुगल शासक अकबर का दरबारी बनने में गौरव तथा मुगलों से रिश्तेदारी करने में ही अपना आन-बान समझ रहे थे।

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