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Na Janma Na Mirtyu Part-2 (न जन्म न मृत्यु भाग-2)

170.00

Author Osho
Publisher Daimond Pocket Books
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2021
ISBN 81-8982-91-9
Pages 348
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code DPB0048
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Description

न जन्म न मृत्यु भाग 2 (Na Janma Na Mirtyu Part 2) जो भी जन्मता है, वह मरता है। जो भी उत्पन्न होता है, वह विनष्ट होता है। जो भी निर्मित होगा, वह बिखरेगा, समाप्त होगा। हमारे सुख-दुःख, हमारी इस भ्रांति से जन्मते हैं कि जो भी मिला है वह रहेगा। प्रियजन आकर मिलता है, तो सुख मिलता है, लेकिन जो आकर मिलेगा, वह जाएगा। जहां मिलन है, वहां विरह है। मिलने में विरह को देख लें तो उसके मिलने का सुख विलीन हो जाता है और उसके विरह का दुःख भी विलीन हो जाता है। जो जन्म में मृत्यु को देख ले उससे जन्म की खुशी विदा हो जाती है, उसकी मृत्यु का दुःख विदा हो जाता है। और जहां सुख और दुःख विदा हो जाते हैं, वहां जो शेष रह जाता है, उसका नाम ही आनंद है। आनंद सुख नहीं है। आनंद सुख की बड़ी राशि का नाम नहीं है, आनंद सुख के स्थिर होने का नाम नहीं है, आनंद मात्र दुःख का अभाव नहीं है, आनंद मात्र दुःख से बच जाना नहीं है- ‘आनंद’ सुख और दुःख दोनों से ही ऊपर उठ जाना है। दोनों से ही बच जाना है

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