Padamshri Dr. Kapil Dev Dwivedi Abhinandan Grantha (पदमश्री डॉ. कपिल देव द्विवेदी अभिनन्दन ग्रन्थ)
₹210.00
Author | Pro. Bal Chand Shrivastav |
Publisher | Vishva Bharati Research Institute |
Language | Hindi |
Edition | 1st edition, 1999 |
ISBN | 978-81-85246-40-8 |
Pages | 397 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VBRI0011 |
Other | Dispatched In 1-3 Days |
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पदमश्री डॉ. कपिल देव द्विवेदी अभिनन्दन ग्रन्थ (Padamshri Dr. Kapil Dev Dwivedi Abhinandan Grantha) द्विवेदी जी मेरे अग्रज और श्रद्धेय है, उन्होंने मुझे अपना पारिवारिक सदस्य मानते हुए मुझे अपार स्नेह दिया है। उनके अध्यवसाय का क्रम अविच्छिन्न रहे, वे स्वस्थ-व्यस्त-मस्त रहें, वे शतायु हों, यह मेरी शुभ-कामना और प्रभु से याचना है। द्विवेदी जी के व्यक्तित्व-निर्माण में उनकी गुरुकुल पद्धति की शिक्षा-दीक्षा का सर्वाधिक योगदान रहा है। उनके पूज्य पिता श्री बलरामदास जी कट्टर आर्यसमाजी, समाज-सुधारक और गाँधीवादी थे। उन्होंने अपने ज्येष्ठ पुत्र कपिलदेव को गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर (हरिद्वार) में साढ़े नौ वर्ष की आयु में प्रवेश कराया, जहाँ पूरे ग्यारह वर्ष तक उन्होंने कठोर अनुशासन में रहकर संस्कृत की, संस्कृति की, स्वावलंबन और सत्यनिष्ठा की. देशप्रेम और त्याग-तपस्या की संपूर्ण शिक्षा ग्रहण की और उन साँचों में ढला हुआ उनका व्यक्तित्व आज भी अक्षुण्ण है।
द्विवेदी जी के ऊपर अपने बड़े परिवार को व्यवस्थित रखने की ज़िम्मेदारी अपने अध्ययन काल से ही आ चुकी थी। कारण यह था कि अपने गाँव में ‘गाँधी बाबा’ के नाम से विख्यात उनके पिताश्री स्वतंत्रता-आन्दोलनरत रहने के फलस्वरूप जेलयात्री हुए और आर्थिक विपन्नता के शिकार भी, और फिर कपिलदेव जी को अपने तीन कनिष्ठ भाइयों और चार बहनों की शिक्षा, पालन-पोषण, विवाहादि का उत्तरदायित्व निर्वहन करना पड़ा। जिस लगन, परिश्रम और त्याग से उन्होंने अपने भाइयों-बहनों को व्यवस्थित किया, वह इनकी कर्त्तव्यपरायणता का ज्वलंत दृष्टांत है ।
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