Sant Mahatmao ke Durlabh Prasang Vol. 2 (संत महात्माओ के दुर्लभ प्रसंग भाग 2)
₹90.00
Author | S.N. Khandelwal |
Publisher | Vishwavidyalaya Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 1st edition, 2020 |
ISBN | 978-81-936494-8-0 |
Pages | 140 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 21 (l x w x h ) |
Weight | |
Item Code | VVP0033 |
Other | Dispatched in 3 days |
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संत महात्माओ के दुर्लभ प्रसंग भाग 2 (Sant Mahatmao ke Durlabh Prasang Vol. 2) ‘सन्त महात्माओं के दुर्लभ प्रसंग’ के द्वितीय भाग का प्रकाशनोत्सव आज महासिद्ध हरनाथ, तिरुज्ञान सम्बन्दर, सन्त राधानाथ पागला बाबा, शिवरामकिंकर योगत्रयानन्द के संक्षिप्त जीवनवृत्त को संयोजित करके किया जा रहा है।
उस काल में तत्कालीन बहुसंख्यक श्रद्धालु तथा जिज्ञासुगण इनके उपदेश तथा आशीर्वाद से अनुप्राणित होते रहते थे, तथापि आज कालक्रम से ये सभी विस्मृतप्रायः हो गये हैं। प्रभुकृपा से इनके बारे में जो तथ्य यत्र- तत्र प्राप्त हो सके यह लघु पुस्तक उसी का यथासाध्य अंकित शब्दचित्र मात्र है। वास्तव में अध्यात्म पथ के पथिक के लिए इन सन्त-महात्माओं का स्मरण एक प्रकार से प्रेरणाप्रद तथा संबल रूप होगा, यही विश्वास इस उपक्रम का लक्ष्य है। वास्तव में जो यथार्थ सन्त हैं, वे जहाँ रहते हैं वही स्थान तीर्थ है। वही पुण्य क्षेत्र है। जहाँ इनकी पुण्य-कथा का स्मरण किया जाता है तथा उसका शब्दांकन होता है, वही यथार्थ शास्त्र है। यह मनीषीगण का वचन है-
यत्रैव तिष्ठते सोऽपि सः देशः पुण्यभाजनम्।
तथा
सर्वशुद्धः पवित्रोऽसौ स्वभावाद्यन्न् तिष्ठति ।
तत्र देवगणाः सर्वे क्षेत्रे पीठे वसन्ति हि ॥
अर्थात् इस प्रकार के अन्तर्बाह्य शुद्ध मनीषी जहाँ अवस्थान करते हैं, वहाँ समस्त देवता (सकारात्मक उर्ध्वगामी ऊर्जास्वरूप शक्ति) स्थित रहते हैं। यह शास्त्रों की मान्यता रही है।
सन्तों तथा महात्माओं से जिस अखण्ड महायोग तत्व को सुना था तथा महामहोपाध्याय डॉ० पं० गोपीनाथ कविराज महोदय एवं महायोगी दादा सीतारामजी महाराज से जिस परम रहस्यमय गुरुतत्व का उपदेश प्राप्त किया था, वह भी यथासाध्य सरल एवं सर्वबोधगम्य रूप से पुस्तक के परिशिष्ट के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह तत्व चिन्तानुध्यान से पाठक के हृदय में स्वतः विकसित होने लगता है। यह इसकी विशेषता है। अतः उसका संयोजन ‘बहुजन हिताय’ इस ग्रन्थ में कर रहा हूँ।
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