Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.

Pranayam (प्राणायाम)

15.00

Author Radhakrishna Nevatiya
Publisher Sarv Sewa Sangh Prakashan
Language Hindi
Edition 19th edition
ISBN -
Pages 80
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SSSP0080
Other Dispatched in 1-3 days

 

3 in stock (can be backordered)

Compare

Description

प्राणायाम (Pranayam) हिन्दूमात्र धार्मिक दृष्टि से या सामाजिक रीति-रस्म के अवसरों पर प्राणायाम करते हैं, चाहे वे उसका महत्त्व जानते हों या न जानते हों । प्राणायाम में गम्भीर तत्त्व निहित है। मानव-मात्र को प्राणायाम सीखना और करना चाहिए। इस छोटे-से ग्रन्थ में मैंने यह बताने का प्रयत्न किया है कि शास्त्रीय एवं आधुनिक प्राणायाम के करने से मनुष्य अपने जीवन को स्वस्थ एवं दीर्घजीवी बनाकर आनन्द उठा सकते हैं। साथ ही साथ अगर मनुष्य चाहे तो प्राणायाम के द्वारा उस सूक्ष्म स्थान पर पहुँच सकता है, जिसकी चाह एवं भूख उसके मन में है। भगवान् श्रीकृष्ण ने ‘गीता’ में कहा है कि योगीजन प्राणायाम के द्वारा उस सिद्धि को प्राप्त करते हैं, जिसको चाहते हैं-

अपाने जुह्वति प्राणं प्राणेऽपानं तथापरे।
प्राणापानगती रुद्ध्वा प्राणायामपरायणाः।।
अपरे नियताहाराः प्राणान् प्राणेषु जुह्वति।
सर्वेऽप्येते यज्ञविदो यज्ञक्षपितकल्मषाः।।

प्राण-वायु में अपान वायु को मिलाओ अर्थात् अन्दर जानेवाली श्वास में बाहर जानेवाली श्वास का हवन करो। योगीजन इस क्रिया के द्वारा ही सूक्ष्म लोक में पहुँचते है। अतः प्राणायाम अँधेरी कोठरी से प्रकाश में लाने का मार्ग बताता है। आशा है, सर्वसाधारण जनता इससे लाभ उठाकर दूसरों के सामने उदाहरण प्रस्तुत करेगी।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Pranayam (प्राणायाम)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×