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Ramayan Sukti Rasayan (रामायणसूक्तिरसायन)

Original price was: ₹400.00.Current price is: ₹340.00.

Author Dr. Upendra Dev Pandey
Publisher Sharda Sanskrit Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2014
ISBN 978-93-81999-41-7
Pages 367
Cover Hard Cover
Size 14 x 3 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SSS0071
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Description

रामायणसूक्तिरसायन (Ramayan Sukti Rasayan) यद्यपि सम्पूर्ण रामायण में ही आदिकवि महर्षि वाल्मीकि की कवित्व शक्ति अद्वितीय है, किन्तु रामायण की सूक्तियों में कवि का कवित्व दर्शनीय बन पड़ा है। साहित्य के विविध तत्त्वों ने उपदेश रूपी कटु औषधी के विषय-वस्तु वाली इन सूक्तियों को सरस मधुर एवं सर्वग्रही बना दिया है। इसके साथ ही जीवन के सामान्य आदर्शों को कवि ने तत्कालीन संस्कृति के भव्य निदर्शन पूर्वक इन सूक्तियों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की साहित्यिक सूक्तियों के माध्यम से काव्यात्मक सौन्दर्य एवं जीवन के विविध स्वरूपों को रमणीय ढंग से प्रस्तुत किया है।

धर्माचरण कैसे करना चाहिए? कौन सा आचरण किस अवसर पर धर्म होता है और वही किस अवसर पर अधर्म हो जाता है? धर्म, अर्थ, काम का सेवन किस अवसर पर कैसे करना चाहिए ? पिता-पुत्र, भाई-भाई, पति-पत्नी, राना-प्रजा, शत्रु-मित्र में परस्पर कैसा बर्ताव होना चाहिए? वर्णधर्म, आश्रमधर्म, राजधर्म आदि का किस भाँति पालन करना चाहिए? इत्यादि सभी बाते सुस्पष्ट रूप से रामायण में सूक्तियों के माध्यम से उपदेशित की गयी हैं। इन सूक्तियों में जहाँ सामन्जस्य एवं समरसता से परिपूर्ण गृहस्थ जीवन तथा वर्ण एवं आश्रम व्यवस्था में व्यवस्थित सुदृढ़ सामाजिक संरचना का दर्शन होता है, वहीं स्वस्थ सामाजिक मान्यताओं एवं सुव्यवस्थित राजनीतिज्ञ व्यवस्था का निरूपण हुआ है।

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