Shastra Siddhant Lesha Sangrah Set Of 2 Vols. (शास्त्रसिद्धान्तलेशसंग्रहः 2 भागो में)
₹600.00
Author | Sarvadarsanacarya Sri Krishnananda Sagar |
Publisher | Acharya Krishnanand Sagar |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 1992 |
ISBN | - |
Pages | 754 |
Cover | Paper Back |
Size | 21 x 4 x 13 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | IM0076 |
Other | Old and Rare Book |
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CompareDescription
शास्त्रसिद्धान्तलेशसंग्रहः 2 भागो में (Shastra Siddhant Lesha Sangrah Set Of 2 Vols.) प्रस्तुत ‘सिदान्तलेशसंग्रहः’ श्रीमदप्पयदीक्षित द्वारा प्रणीत अद्वैतवेदान्त परम्परा का एक अद्वितीय-विलक्षण संस्कृत वाङ्गमय में ग्रन्थ है, जो अद्वैतसिद्धान्त के स्तम्भ श्रीमदाद्य शङ्कराचार्य की विचारशैली का पूर्णतया प्रतिपादक है। श्री अप्पयदीक्षित परमतत्ववेत्ता महापुरुष थे, उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक अन्धों का प्रणयन कर तत्त्वजिज्ञासुओं के लिये ज्ञानमार्ग प्रकाशित किया और एक नूतन दिशा दी है। अतः ‘चतुरधिकशत प्रबन्ध-निर्वाहकाचार्यः’ अर्थात् एक सौ अन्थों का संस्कृत वाङ्मय में लेखन इस उक्ति से सिद्ध होता है। जैसे कि शिवा-द्वैतनिर्णयः, शिवतत्त्वविवेकः, शिवकर्णामृतः, शिवार्चनचन्द्रिका, ब्रह्मतर्कस्तपः, न्यायमुक्तावली और न्यायरक्षामणिः इत्यादि ग्रन्थ हैं।
ग्रन्थकार उच्चकोटि के साघक ये और वह साधना अद्वैतबा शिव परमात्मसम्बन्धी थी। अतः शिवपरमात्मा की निर्मल भक्तिभावना से उनका हृदय भर। था, जिससे शिवानुग्रह प्रसाद का पात्र हो गये और शिवानुभहप्रसाद जीवन में समस्त विद्यायें और रचनात्मक प्रगति देता है। इनका जन्म ‘काञ्ची’ के निकटवर्ती ‘अडपप्पल’ नामक ग्राम में हुआ था। सम्प्रति भी इनके वंशज उस प्रान्त में विद्यमान हैं। इतिहासकारों ने ई० १५२० से १९९३ तक जीवनकाल निश्चित किया है। भारद्वाज गोत्रोत्पन पवित्र आचार-विचारक ब्राह्मण थे, अपने पिताश्री ‘रङ्गराजाधारी’ से समस्त विद्याओं को अध्ययन कर प्राप्त की थी, ये भी अनेक वेदवेदान्तशास्त्रों के अतिम पण्डित थे, इस विषय में श्री ग्रन्थकार ने अनेक स्थलों में उल्लेख भी किया है तथा पितामह का नाम आचार्य दीक्षित था।
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