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Shivraj Vijay (शिवराजविजयः प्रथम निश्वासः)

25.00

Author Shree Nivas Sharma
Publisher Bharatiya Vidya Prakashan
Language Hindi & Sanskrit
Edition 2nd edition, 2015
ISBN -
Pages 54
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0361
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Description

शिवराजविजय प्रथम निश्वासः (Shivraj Vijay) ‘शिवराज विजय’ उन्नीसवीं शताब्दी का एक महत्त्वपूर्ण गद्य काव्य है और इसके रचयिता श्री अम्बिकादत्न व्यासकाल १८५८-१०० ई० है। वे काशी के प्रसिद्ध विद्वानों में से थे। उनके पूर्वज जयपुर राज्य के निवासी थे। उनके पितामह काशी में आकर बस गये थे वहीं उनका अध्ययन सम्पन्न हुआ। व्यास जी ने बिहार के राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में काफी समय तक अध्यापन कार्य करने के साथ-साथ हिन्दी और संस्कृत की लगभग ७५ पुस्तकें लिखी है।

‘शिवराज विजय’ में छत्रपति शिवाजी का जीवन चरित्र अंकित किया गया है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रारम्भ में लिखित यह कृति राष्ट्रीय जनजागरण में सहायक सिद्ध हुई। व्यास जी ने कल्पना का प्रचुर प्रयोग करते हुए ऐतिहासिकता को अक्षुण्ण रखा है। ऐतिहासिक घटनाओं को कल्पना के रंग से अनुरंजित करते हुए लेखक ने इस बात का पूर्ण ध्यान रखा है कि हृदय ग्राहिता के साथ-साथ ऐतिहासिकता का भी सहज सामंजस्य बना रहे। यों तो विषय-वस्तु की दृष्टि से ‘शिवराज विजय’ में शिवाजी और औरंगजेब की प्रसिद्ध घटनाएँ ही दी गयी है तथा तत्कालीन प्रसिद्ध ऐतिहासिक व्यक्तियों में से यशवन्तसिंह, अफजलखान आदि का सन्निवेश है। शिवाजी भारतीय आदर्शों संस्कृति, सभ्यता एवं मातृशक्ति के रक्षक के रूप में अंकित हुए हैं। उनका ऐतिहासिक व्यक्तित्व इस कृति में पूर्णतया सुरक्षित है।

‘शिवराज विजय’ का प्रधान रस वीर है पर हास्य, शांत, बीभत्स भी सहायक रूप में अंकित हुए है। लेकिन प्रधानता वीर रस की है। यदि हम यह कहें कि वीर रस के इतने सुन्दर चित्र संस्कृत गद्य-साहित्य में बहुत कम मिलते हैं तो कोई अत्युक्ति न होगी।  ‘शिवराज विजय’ की वर्णन-शैली भी प्रशंसनीय है और व्याम जी ने इस वर्णन-प्रधान कृति में घटनाओं की गतिशीलता पर भी पूर्ण ध्यान दिया है। विचारकों ने तो उन्हें ‘अभिनव बाण’ की उपाधि से विभूषित करते हुए यहाँ तक कहा है “बाण की भांति एक ही बात अथवा वर्ण्य विषय को लेकर पेज नहीं रंगे गये हैं।

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