- You cannot add "Shrimad Bhagvadgita, Sanskrit Text with Hindi and English Translation - code 1658 - Gita Press" to the cart because the product is out of stock.
Brihat Parashar Hora Shastra (बृहत्पराशरहोराशास्त्र)
₹630.00
Author | Sri Pt. Tarachandra Shastri |
Publisher | Khemraj Srikrishna Das Prakashan, Bombay |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2020 |
ISBN | - |
Pages | 636 |
Cover | Hard Cover |
Size | 17 x 3 x 24 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | KH0030 |
Other | Book Dispatch in 1-3 Days |
1 in stock (can be backordered)
CompareDescription
बृहत्पराशरहोराशास्त्र (Brihat Parashar Hora Shastra)
विफलान्यन्यशास्त्राणि विवादस्तेषु केवलम् ।
प्रत्यक्ष ज्यौतिषं शास्त्रं चन्द्रार्को यत्र साक्षिणी ।।
सूर्य, चन्द्र, तारा आदि ज्योतिष्पिण्डों के विज्ञान का प्रदर्शक होने से इस शास्त्र का नाम ‘ज्यौतिष’ शास्त्र है। सूर्य एवं भौमादि ग्रह तथा चन्द्र आदि उपग्रहों की गति, ग्रहण आदि का ज्ञान एवं दिन, मास आदि समय का ज्ञान इसी के द्वारा होने से इसकी सार्थकता है (यद्यपि चन्द्रमा को फलित एवं गणित ज्यौतिष में ‘ग्रह’ ही कहा गया है ‘उपग्रह’ नहीं, तथापि आधुनिक विज्ञान द्वारा यह सिद्ध है कि-चन्द्रमा पृथ्वी का ‘उपग्रह’ है) तथा अमावास्या पूर्णिमा आदि यज्ञ के समय का निर्णायक होने में वैदिक धर्म का अंग है। मनुष्यों के शुभाशुभ का सूचक होने से तो इस शास्त्र की विशेष सार्थकता है तथा मुहूतों का निर्णायक होने से भी। यह ज्यौतिष शास्त्र ‘सिद्धान्त, सहिता, होरा’ इन तीन विभागों में विभक्त है। गणित भाग के प्रदर्शक ‘सूर्य सिद्धान्त, सिद्धान्तशिरोमणि’ आदि ग्रन्थ सिद्धान्त विषय के ज्ञापक है, तथा ग्रह आदि के लक्षण, स्वरूप आदि प्रकीर्ण विषयों के संग्रह ग्रन्थ ‘वाराही संहिता’ आदि संहिता ग्रन्थ है, एवं मनुष्यों के शुभाशुभ का परिचायक ‘होरा’ भाग है, यह ‘बृहत्पाराजर होराशास्त्र’ ग्रन्थ इस विषय का मूर्द्धन्य है यह विदितप्राय है। ‘अहोरात्र’ शब्द जो कि ‘दिनरात्रि’ का अर्थ वाचक है, इसी के आदि और अन्त के लोप से ‘होरा’ शब्द की उत्पत्ति हुई है, यथा-“होरेत्यहोरात्रविकल्पमेके वांछन्ति पूर्वापर-वर्ण लोपात्।” इस शास्त्र के प्रवर्तक सूर्य आदि १८ ऋषि सुने जाते हैं।
Reviews
There are no reviews yet.