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Gandharva Tantram (गन्धर्वतन्त्रम्)

560.00

Author S.N. Khandelwal
Publisher Bharatiya Vidya Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2012
ISBN 978-93-81189-04-7
Pages 448
Cover Hard Cover
Size 14 x 4 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code BVS0075
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Description

गन्धर्वतन्त्रम् (Gandharva Tantram) प्रस्तुत ग्रन्थ ‘गन्धर्वतन्त्र’ आज अपने पूर्वरूप में नहीं मिलता। शास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर यह विदित होता है कि इसमें 12000 श्लोक थे। कालक्रमानुसार लुप्त होते-होते आज केवल 4445 श्लोक प्राप्त होते हैं। इसमें कर्मकाण्ड की प्रखरता उपलब्ध होती है तो कहीं अत्यन्त उच्चस्तरीय अध्यात्म विज्ञान से भी इसे संजोया गया है। अपूर्ण होने के कारण आज जो इसका प्रारूप प्राप्त है, उससे कई जिज्ञासाओं का समापान नहीं हो सका है।

मूलतः इसमें श्रीविद्या का प्रचुरता से उपदेश दिया गया है। साथ ही पञ्चमकार साधना के भी प्रभूत प्रसंग इसमें प्राप्त होते हैं। ग्रन्थ पूर्ण न होने के कारण क्रियाकाण्ड सम्बन्धित तारतम्यता भंग सी प्रतीत होती है। कई स्थान पर केवल संकेत मात्र दिया गया है। वैसे शब्दजाल में इस विषय पर चाहे जितना लिख दिया जाये लेकिन यह एक प्रायोगिक विज्ञान। है। अतः इसपर अधिक वागविलास में न पड़कर इसके क्रियाकाण्ड का अनुशीलन करना ही श्रेयस्कर प्रतीत होता है।

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