Samachar Patra Kala (समाचारपत्र कला)
₹72.00
Author | Pt. Ambika Prasad Vajpayi |
Publisher | Uttar Pradesh Hindi Sansthan |
Language | Hindi |
Edition | 2nd edition, 2003 |
ISBN | - |
Pages | 272 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 1 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | UPHS0039 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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समाचारपत्र कला (Samachar Patra Kala) भारत की समाचारपत्न-कला के इतिहास में राजा राममोहन राय, दादाभाई नौरोजी, बाबू हरिश्चंद्र मुकर्जी, बाबू शिशिर कुमार घोष, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, बाबू विपिनचन्द्र पाल, सुब्रह्मण्य अय्यर, ऐनी बेसण्ट, बाबू रामचन्द्र चटर्जी, महात्मा गांधी, बाबू अरविन्द घोष, देशबन्धु चितरंजन दास प्रभृति विद्वान पलकारों, सम्पादकों और जुझारु कार्यकर्ताओं का श्रम समाहित है। स्वतन्त्रता आन्दोलन में समाचारपत्त्रों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है और अन्ततः स्वतन्त्र देश में श्वांस लेने का अधिकार प्राप्त कर आज भी स्वतन्त्रता की आवाज़ उठा रहे हैं।
‘समाचारपत्र-कला’ पुस्तक में विद्वान् लेखक ने समाचारपत्तों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उनके सम्पादन एवं प्रकाशन से सम्बन्धित कार्यविधियों का वर्णन किया है। उन्होंने प्रेस स्वतन्त्रता की परिभाषा, पत्नों का प्रभुत्व, संकीर्ण दृष्टिकोण का अभिशाप, संसदीय और अदालती हस्तक्षेप जैसे ज्वलन्त विषयों की भी चर्चा है। साथ ही परिशिष्ट के अन्तर्गत स्वतन्त्रता आन्दोलनकालिक गुप्त प्रकाशन, विज्ञापन, दैनिक पत्तों की सूची, ब्रिटिश पत्न, अमेरिकन पत्ल, रूसी पत्त्र, संविधान के कुछ महत्त्वपूर्ण अनुच्छेद मासिक नृसिंह से उद्धहरण आदि समाहित कर पुस्तक को शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए और अधिक उपयोगी बना दिया है।
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