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Shri Narsingh Puran (श्रीनरसिंघपुराण)

120.00

Author -
Publisher Gita Press, Gorakhapur
Language Sanskrit & Hindi
Edition 19th edition
ISBN -
Pages 302
Cover Hard Cover
Size 19 x 2 x 27 (l x w x h)
Weight
Item Code GP0135
Other Code - 1113

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Description

श्रीनरसिंघपुराण (Shri Narsingh Puran) श्रीनरसिंह पुराण सम्पूर्ण, हिन्दी अनुवादके साथ आप सभी भगवत्प्रेमी महानुभावोंकी सेवामें प्रस्तुत है। इसके पूर्व यह ‘कल्याण’ वर्ष ४५ ‘अग्निपुराण’ तथा ‘गर्गसंहिता’ के उत्तरार्धके साथ (सन् १९७१ ई० के) विशेषाङ्कके रूपमें प्रकाशित हुआ था। इसके महत्त्व, उपयोगिता तथा अत्यधिक माँगको देखते हुए अब यह ग्रन्थाकारमें पुनः प्रकाशित किया गया है।

अन्यान्य पुराणोंकी भाँति श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है। इसमें भी पुराणोंके लक्षणके अनुसार ही सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरितका सुन्दर वर्णन है। भगवान्‌के अवतारोंकी लीला कथा है, उसमें भगवान् श्रीरामका लीलाचरित प्रधानरूपसे वर्णित है। श्रीमार्कण्डेय मुनिकी मृत्युपर विजय प्राप्त करनेकी सुन्दर कथा है, उसमें ‘यमगीता’ है। कलियुगके मनुष्योंके लिये बड़ी ही आशाप्रद बातें हैं। इसमें कई ऐसे स्तोत्र-मन्त्रोंका विधान बताया गया है, जिनके अनुष्ठानसे भोग-मोक्षकी सिद्धि प्राप्त हो सकती है। भक्तिके स्वरूप, भक्तोंके लक्षण तथा ध्रुव आदि भक्तोंके सुन्दर चरित्रोंका वर्णन है।

इस छोटेसे पुराणमें बहुत ही उपयोगी तथा जाननेयोग्य सामग्री है। आशा है, पाठक-पाठिका इसका पठन-मनन करेंगे तथा इसमें उल्लिखित कल्याणकारी विषयोंको यथारुचि यथावश्यक अपने जीवनमें उतारकर लाभ उठावेंगे।

पठतां शृण्वतां नृणां नरसिंहः प्रसीदति।
प्रसन्ने देवदेवेशे सर्वपापक्षयो भवेत्।
प्रक्षीणपापबन्धास्ते  मुक्तिं यान्ति नरा इति ॥

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