Sahastranam Stotra Sangrah (सहस्त्रनामस्तोत्रसंग्रह)
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Author | - |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Sanskrit |
Edition | 22 edition |
ISBN | - |
Pages | 800 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 3 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GP0014 |
Other | Code - 1594 |
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सहस्त्रनामस्तोत्रसंग्रह (Sahastranam Stotra Sangrah) भगवान्का नाम स्वयंमें परात्पर परब्रह्म सच्चिदानन्दविग्रह है –
रामस्य नाम रूपं च लीला धाम परात्परम्।
एतच्चतुष्टयं सर्वं सच्चिदानन्दविग्रहम्॥ (वसिष्ठसंहिता)
रामका नाम, रूप, लीला और धाम चारों ही परात्परस्वरूप हैं। इसीलिये नाम-जप, नाम-स्मरण तथा नाम-चिन्तनकी अत्यधिक महिमा कही गयी है और नामके माध्यमसे भगवदाराधना, उपासना करनेका शास्त्रोंमें विशेषरूपसे निरूपण हुआ है। प्रारम्भसे ही भगवान्के अर्चन-पूजनमें ‘सहस्त्रनाम’ का अत्यधिक महत्त्व माना गया है। सहस्त्रनाम जप तथा सहस्त्रनामार्चन पूजा-पद्धतिमें विशेष महत्त्व रखता है।
अपने शास्त्रोंमें पंचदेवोंकी उपासना पूर्ण ब्रह्मके रूपमें प्रस्तुत की गयी है। गणेश, विष्णु, शिव, दुर्गा और सूर्य – इन पंचदेवोंमेंसे किन्हीं एकको अपना इष्ट मानकर व्यक्ति आराधना करता है, इसलिये इन देवोंके ‘सहस्त्रनामस्तोत्र’ भक्तजनोंके कल्याणके लिये अपने आर्षग्रन्थोंमें प्राप्त होते हैं, जिनका पाठ भी किया जाता है तथा इनकी नामावलीसे अर्चा-पूजा भी की जाती है। इन देवोंका सहस्त्रनामार्चन विशिष्ट सामग्रीद्वारा करनेका अपने शास्त्रोंमें विधान मिलता है और उसकी विशेष महिमा भी बतायी गयी है। जैसे – विभिन्न कामनाओंकी पूर्तिके लिये गणपतिका सहस्त्रनामार्चन दूर्वा, लावा, मोदक आदिसे करनेका विधान है, तुलसीदलके द्वारा भगवान् विष्णुके सहस्त्रनामार्चनका विशेष महत्त्व माना गया है।
इसी प्रकार भगवान् सदाशिवका सहस्त्रनामार्चन बिल्वपत्रादिद्वारा करना प्रशस्त है। भगवान् सूर्यनारायणका सहस्त्रनामार्चन कमलपुष्पसे किया जाता है तथा भगवती दुर्गा जपापुष्प तथा कुंकुम-अक्षतादिके सहस्त्रनामार्चनसे प्रसन्न होती हैं। इन देवोंके विभिन्न अवतार भी हुए हैं और अनेक नाम-रूपोंमें इनकी उपासना करनेकी विधि भी है, जैसे भगवती दुर्गाकी आराधना गायत्री, लक्ष्मी, अन्नपूर्णा, ललिता, भवानी, राधा तथा सीता आदि अनेक नामरूपोंमें की जा सकती है। इसी प्रकार गणेश, सूर्य, शिव और विष्णुके भी अनेक नाम और स्वरूप अपने शास्त्रोंमें प्राप्त हैं, अतः सभीके सहस्त्रनाम ग्रंथोंमें उपलब्ध हैं।
गीताप्रेसके द्वारा पूर्वमें कुछ देवोंके सहस्त्रनाम स्वतन्त्ररूपसे प्रकाशित हुए हैं। इस बार यह प्रयास किया गया कि इन विभिन्न नाम-रूपोंमें यथासाध्य सभी देवी-देवताओंके सहस्त्रनामस्तोत्रोंका संग्रह एक साथ प्रकाशित किया जाय। इसके साथ ही अर्चन-पूजनकी सुविधाकी दृष्टिसे इन स्तोत्रोंकी नामावली भी दी गयी है। संख्याकी दृष्टिसे इन नामावलियोंमें एक सहस्त्र अथवा इससे अधिक भी नाम प्राप्त हैं। सहस्त्रनामस्तोत्रोंके पूर्व विनियोग, अङ्ग-न्यास तथा ध्यानके मन्त्र भी यथासाध्य देनेका प्रयास किया गया है, जिनका प्रयोग सहस्त्रार्चनमें किया जा सकता है। परमात्मप्रभुकी प्रसन्नताके निमित्त किया गया सहस्त्रनामस्तोत्रका पाठ तथा सहस्त्रार्चन अनन्त फलदायक होता है।
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