Yog Darshan (योग दर्शन)
₹102.00
Author | Pt. Shri Ram Sharma Acharya |
Publisher | Sanskriti Sansthan |
Language | Hindi |
Edition | 2022 |
ISBN | - |
Pages | 347 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SS0008 |
Other | Dispatched in 3 days |
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योग दर्शन (Yog Darshan) योग के सैद्धान्तिक पक्ष के अतिरिक्त इसी (पातंजलि योग-दर्शन की) सबसे बड़ी विशेषता व्यवहारिक पक्ष की है। जहाँ अन्य दर्शन अपने वाक् जंजाल में फँसा कर ईश्वर की सत्ता का आभास मात्र देते हैं वहाँ योग दर्शन हमें ईश्वर प्राप्ति का क्रियात्मकं मार्ग बतलाता है, यह केवल ईश्वर प्राप्ति का मार्ग ही नहीं बतलाता, बल्कि आसन यम, नियम और ध्यान की विधियों को बतलाकर हमारे शरीर को बली, मन को पवित्र तथा चित्त को एकाग्र बनाता है। यदि संसार में शरीर तथा मस्तिष्क दोनो को स्वस्थ बनाने वाला और साथ ही मोक्ष की प्राप्ति कराने वाला कोई दर्शन है, तो वह योग दर्शन ही है।
यद्यपि प्राचीन काल से ही योग की अनेक शाखायें प्रचलित हैं और भगवद्गीता में राज-योग, ज्ञान-योग, कर्म-योग, भक्ति-योग, आदि का उल्लेख किया गया है पर देशी-विदेशी सभी विद्वान् इस सम्बन्ध में एक मत हैं कि लोक में अष्टाङ्ग योग के आदि प्रचारक पातञ्जलि मुनि हैं और उन्हीं के आधार पर बाद में भिन्न-भिन्न शाखाओं और विधियों का आविर्भाव होता गया है। अनेक लेखक तो योग का अर्थ पातञ्जलि का ‘योग-दर्शन’ ही बतलाते हैं। वास्तव में पातञ्जलि ने प्रथम सूत्र में ही योगश्चित्तवृत्ति-निरोधः’ चित्त-वृत्तियों को रोक लेना ही योग है) कहकर योग का जो मूलस्वरूप और दृढ़ आधार बतला दिया है, वही अभी तक स्थिर है और जितने भी अन्य मार्ग या विधियाँ निकाली गई हैं, वे सब परिस्थिति, पात्र और अधिकार भेद में उसी आधार पर प्रतिष्ठित हैं।
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