Mangla Gouri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत कथा)
₹31.00
Author | - |
Publisher | Shri Vishnu Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 32 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SVP0003 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gouri Vrat Katha) लक्ष्मीजी भगवान् विष्णु से कहती हैं- प्रभो! पूर्वजन्म में ‘अमा’ होकर मैंने गौरी-पूजा के प्रभाव से राज्य तथा उस परम सौभाग्य को प्राप्त किया, जो सम्पूर्ण युवतियों के लिये दुर्लभ वस्तु है। तदनन्तर उन्होंने मुनीश्वर दुर्वासाजी से पुनः पूछा- ‘ब्रह्मन्’ ! ऐसा कोई व्रत बताइये, जिसके सम्यक् पालन से भविष्य में मनुष्य योनि में जन्म न होकर देवभाव की प्राप्ति हो। ‘तब वे बहुत देर तक ध्यान करके बोले- बेटी! गौरीजी को सन्तुष्ट करने वाला एक उत्तम व्रत है, जिसका भली भाँति अनुष्ठान करने से स्त्री देवीम्वन्पा हो जाती है। तुम उसी व्रत का अनुष्ठान करो, इससे देवभाव को प्राप्त हो जाओगी।’ मैने पूछा- ‘मुने! किस-किस समय और किस-किस विधि से उस व्रत का पालन करना चाहिये?’
दुर्वासा बोले- प्रत्येक युवती विवाह के उपरान्त श्रावण मास के मंगलवारों में या कर सके तो पूरे एक वर्ष नक प्रत्येक मंगलवार को अथवा पाँच वर्षों तक श्रावण मास के चारों मंगलवारों को श्रद्धापूर्ण हृदय से गौरीजी का नाम लेकर उन्हीं की प्रसन्नता के लिये उपवास व्रत करने का नियम ग्रहण करें। तदनन्तर रात्रि प्रारम्भ होने पर मिट्टी की चार गौरी की मूर्तियाँ बनावे और एक-एक पहर में एक-एक मूर्ति की पूजा करें। प्रथम प्रहर में उनकी इस प्रकार पूजा करनी चाहिये।
मंगला गौरी व्रत का संकल्प लेने वाले ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें। सावन के मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शिवलिंग पर जल चढ़ाकर व्रत का आरंभ करें। उसके बाद पति और पत्नी दोनों मिलकर विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। माता पार्वती को अक्षत्, कुमकुम, फूल, फल, माला और सोलह श्रृंगार की सामग्री, सुहाग का सारा सामान अर्पित करें। इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन माता पार्वती की आराधना की जाती है।
Reviews
There are no reviews yet.