Sarvadarasana Sangrahah (सर्वदर्शन संग्रहः)
₹1,626.00
Author | Prof. Madhav Janardan Ratate |
Publisher | The Bharatiya Vidya Prakashan |
Language | Sanskrit |
Edition | 2022 |
ISBN | 978-93-91512-61-3 |
Pages | 540 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0412 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
सर्वदर्शन संग्रहः (Sarvadarasana Sangrahah) माधवाचार्य के द्वारा विरचित सर्वदर्शनसङ्ग्रह ग्रन्थ में सरल भाषा में सभी दर्शनों का सैद्धान्तिक परिचय प्रस्तुत किया गया है। इस ग्रन्थ में प्रमुख दर्शनों के अतिरिक्त पूर्णप्रज्ञ, नकुलीश पाशुपत, शैव, प्रत्यभिज्ञा, रसेश्वर, पाणिनि दर्शन आदि के भी सिद्धान्तों का प्रतिपादन है। कुल १६ दर्शनों का प्रतिपादन करनेवाला यह अपने आप में अनोखा ग्रन्थ है। विद्वानों तथा जिज्ञासु विद्यार्थियों-दोनों के लिये समान रूप से उपयोगी इस ग्रन्थ पर महामहोपाध्याय पं० वासुदेव शास्त्री अभ्यंकर ने दर्शनाङ्कुर नामक संस्कृत व्याख्या के साथ ही साथ विस्तृत उपोद्घात भी लिखा है। पं० अभ्यंकर का उपोद्धात वास्तव में सभी दर्शनों का समीक्षात्मक परिचय देनेवाला एक संक्षिप्त ग्रन्थ ही है। सर्वदर्शन संग्रह का यह संस्करण सभी पाठकों के लिये अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा।
Reviews
There are no reviews yet.