Vedant Darshan (वेदान्त दर्शन)
₹100.00
Author | Hari Krishna Das Goyandka |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 49th edition |
ISBN | - |
Pages | 478 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GP0017 |
Other | Code - 65 |
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CompareDescription
वेदान्त दर्शन (Vedant Darshan) महर्षि वेदव्यासरचित ब्रह्मसूत्र बड़ा ही महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें थोड़ेसे शब्दोंमें परब्रह्मके स्वरूपका सांगोपांग निरूपण किया गया है, इसीलिये इसका नाम ‘ब्रह्मसूत्र’ है। यह ग्रन्थ वेदके चरम सिद्धान्तका निदर्शन कराता है, अतः इसे ‘वेदान्त दर्शन’ भी कहते हैं। वेदके अन्त या शिरोभाग ब्राह्मण, आरण्यक एवं उपनिषद्के सूक्ष्म तत्त्वका दिग्दर्शन करानेके कारण भी इसका उक्त नाम सार्थक है। वेदके पूर्वभागकी श्रुतियोंमें कर्मकाण्डका विषय है, उसकी समीक्षा आचार्य जैमिनिने पूर्वमीमांसा-सूत्रोंमें की है। उत्तरभागकी श्रुतियोंमें उपासना एवं ज्ञानकाण्ड है; इन दोनोंकी मीमांसा करनेवाले वेदान्त दर्शन या ब्रह्मसूत्रको ‘उत्तरमीमांसा’ भी कहते हैं। दर्शनोंमें इसका स्थान सबसे ऊँचा है; क्योंकि इसमें जीवके परम प्राप्य एवं चरम पुरुषार्थका प्रतिपादन किया गया है। प्रायः सभी सम्प्रदायोंके प्रधान प्रधान आचार्योंने ब्रह्मसूत्रपर भाष्य लिखे हैं और सबने अपने-अपने सिद्धान्तको इस ग्रन्थका प्रतिपाद्य बतानेकी चेष्टा की है। इससे भी इस ग्रन्थकी महत्ता तथा विद्वानोंमें इसकी समादरणीयता सूचित होती है। प्रस्थानत्रयीमें ब्रह्मसूत्रका प्रधान स्थान है
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