Pauranik Kosh (पौराणिक कोष)
₹425.00
Author | Rana Prashad Sharma |
Publisher | Gyanmandal Limited |
Language | Hindi |
Edition | 2013 |
ISBN | - |
Pages | 566 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GM0007 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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पौराणिक कोष (Pauranik Kosh) वेद, पुराण, रामायण, महाभारत आदि ग्रंच अनन्तकालये इस देशके निवासियोंके जीवनको अपने आदर्श पुरुषोंके चरित्रोंसे प्रभावित करते आ रहे हैं। हिन्दी साहित्यमें हमारे धार्मिक ग्रंथोंके पात्रों तथा कथाओंका सर्वत्र उल्लेख मिलत’ है। ऐसे स्थलोको समझनेमें पाठकोंको बड़ी कठिनाई पड़ती है। उन्हें यथार्थ अर्थ जाननेके लिए विद्वानोंको शरण लेनी पड़ती है, फिर भी प्रायः निराश ही होना पड़ता है। क्योंकि प्रकाण्ड विद्वानोंके लिए भी यह सम्भव नहीं है कि उन्हें सारी कथाएँ सदा याद रहें। ऐसी स्थितिमें यह अत्यन्त आवश्यक है कि प्राचीन पात्रों और कथाओंका वर्णानुक्रमिक संग्रह कोशके रूपने पाठकोंके समक्ष उपस्थित किया जाय। उसी आवश्यकताकी पूतिके लिए प्रस्तुत कोशकी रचना ‘पौराणिक कोश’के नामसे की गयी है। मराठी, गुजराती तथा बंग साहित्य में इस अभावकी पूर्ति बहुत पहले की जा चुकी है। हिन्दी जगत्में भी कतिपय साहित्यानुरागिवोंने इसकी वृत्तिके लिए प्रयास किया है; तथापि प्रस्तुत कोशकी नितान्त आवश्यकता थी, इसका अनुभव पाठकगण अवश्य करेंगे।
इस कोश में पुराणादिके पात्रों, स्थानों तथा कयाओंका परिचय दिया गया है। प्रमुख पात्रोंका परिचय विस्तृत रूपसे तथा साधारण पात्रोंका परिचय संक्षिप्त रूपसे देनेका प्रयास किया गया है। इस बातका पूरा ध्यान रखा गया है कि ग्रंथका कलेवर इतना अधिक न बढ़ जाय कि पाठकों के लिए उसे क्रय करना दुरूह हो जाय । पायोंका विस्तृत परिचय जाननेके लिए ग्रंथका नाम, अध्याय तथा श्लोक संख्याका उल्लेख कर दिया गया है। कौनसी कथा कहाँ-कहाँ किन किन ग्रंथोंमें है, इसका भी उदरण दे दिया गया ६। इस कोशसे पाठकगण हिन्दी साहित्य अधवा संस्कृत साहित्यमें वर्णित कोई भी अन्तर्कथा सरकामे जान-समझ सकेंगे । परिशिष्टमें दी गयी अप्रचलित भौगोलिक नामोंकी अकारादि क्रमसे व्याख्या सहित सूची, संक्षिप्त व्याख्या सहित बीड धर्म, जैन धर्म, इस्लाम धर्म, ईसाई और पारसी धर्मके कुछ ऐसे प्रच लित शब्द जिनके प्रयोग हिन्दी साहित्यमे किये गये हैं, कौरवों-पाण्डवोंका वंशवृक्ष, चन्द्रवंशी क्षत्रिोंका वंशवृक्ष, सूर्यवंशी क्षत्रियोंका वंशवृक्ष, कालिदासके वर्णनानुसार श्री रामचन्द्रका चंशवृक्ष आदि सामग्री कहीं-कहीं उत्पन्न होनेवाली उलझनों को सुलझाने में सहायक होगी।
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