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Brihad Pret Manjari (बृहद प्रेत मञ्जरी)

51.00

Author Pt. Devnarayan Shokha Shastri
Publisher Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd.
Language Hindi & Sanskrit
Edition -
ISBN -
Pages 139
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SDPB0041
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Description

बृहद प्रेत मञ्जरी (Brihad Pret Manjari)

नमोऽस्तु रामाय सलक्ष्मणाय, देव्यै च तस्यै जनकात्मजायै ।

नमोऽस्तु रुद्रेन्द्र यमानिलेभ्यो नमोऽस्तु चन्द्रार्क मरुदू गणेभ्यः ॥

नानास्मृति निबन्धानामपरां श्राद्धपद्धतीम् ।

विलोक्य बहुधा शास्त्रं, श्राद्धसारं निगद्यते ॥

नमस्कृत्य हयग्रीवं जगदाधार मूलकम् ।

देवनारायण शोकना लिख्यते प्रेतमञ्जरी ॥

शेषशायी भगवान, श्री लक्ष्मणजी तथा जगजननी जनकात्मजा श्री जानकी जी के साथ आनन्दकन्द भगवान श्री रामचन्द्रजी को नमस्कार है। इन्द्र, यम, अनिल, चन्द्र, सूर्य, रुद्रगण, मरुद्गण आदि सभी को नमस्कार है निखिल जगत के कारणीभूत श्री हयग्रीव भगवान को प्रणाम कर तथा विविध श्राद्ध सम्बन्धी शास्त्रों का अनुसन्धान करते हुये देव नारायण शोकहा शास्त्री प्रेतमञ्जरी नामक ग्रन्थ को लिखते हैं। अथ प्रेत मञ्जरी प्रारभ्यते

अब प्रेतकर्म करने वाले अधिकारी को बताते हैं। दाह से लेकर त्रयोदशाह पर्यन्त ज्येष्ठ पुत्र अधिकारी है। ज्येष्ठ के अभाव में छोटा कर सकता है। पुत्र के न होने पर पौत्र, पौत्र के न रहने पर उसका पुत्र उसके अभाव में स्त्री, स्त्री के अभाव में छोटा भाई उसके अभाव में बड़ा भाई, भाई के न रहने पर भाई का पुत्र अधिकारी होता है।

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